टेंशन हो या डिप्रेशन...पहले खुद से बात करें, मेंटल हेल्थ होगी बेहतर

आजकल के दौर में पढ़ाई, करियर, निजी जिंदगी से जुड़ी परेशानियों की वजह से लोग स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. कई बार छोटी-मोटी समस्याओं पर भी व्यक्ति तनाव लेने लगता है. ऐसे में यह जरूरी है कि आपके सामने अगर कोई परेशानी आए तो आप उसका डटकर सामना करें. इसके अलावा यह बेहद जरूरी है कि आप अपने-आप से बात करें.

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सांकेतिक तस्वीर (PC: Getty) सांकेतिक तस्वीर (PC: Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST

हर दिन, जिस पल हम सोकर उठते हैं..उसी पल से हमारे अंदर विचारों का समंदर उठने लगता है. हमारा आंतरिक संवाद (खुद से बातें करना) हमारे विचारों, भावनाओं और कार्यों को आकार देता है. भले ही हम इस पर गंभीरता से विचार ना करें लेकिन जिस तरह से हम खुद से बात करते हैं, यह चीज हमारे आत्मविश्वास, निर्णय लेने और ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित करती है. चाहे वह व्यायाम पर विचार करना हो, नए अवसरों को भुनाना हो, या सामाजिक मेलजोल में शामिल होना हो, हमारी खुद से बातचीत हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है.

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इसलिए सकारात्मक आत्म-चर्चा यानी खुद से पॉजिटिव बात करना बेहद जरूरी है. यह जीवन में आपके कार्य करने या व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता और हमारे दिमाग पर गहरा प्रभाव डालता है. यहां हम आपको सेल्फ टॉक के कुछ फायदे बता रहे हैं जिन्हें हर किसी को जानना चाहिए और इनका इस्तेमाल अपनी मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए करना चाहिए.

सेल्फ टॉक के फायदे
मनोवैज्ञानिक और साइकोलॉजिस्ट अनीशा झुनझुनवाला ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया, सेल्फ टॉक कई तरह से आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती है.

1. आत्मविश्वास और आत्म-विश्वास में वृद्धि
खुद से अच्छी और सकारात्मक चर्चा यानी आत्म-चर्चा सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देती है. आपका आत्मविश्वास बढ़ाती है और आत्म-विश्वास को मजबूत करती है. जब चुनौतियों या अवसरों का सामना करना पड़ता है तो एक सहायक आंतरिक संवाद साहसिक कदम उठाने और आत्म-संदेह को दूर करने के लिए जरूरी प्रोत्साहन देता है.

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2. तनाव में कमी और इमोशनल हेल्थ बूस्टर
सकारात्मक आत्म-चर्चा तनाव कम करने का एक शक्तिशाली उपकरण है. नकारात्मक विचारों को फिर से परिभाषित करके और रचनात्मक समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर व्यक्ति तनाव को अधिक प्रभावी ढंग से दूर कर सकता है जिससे इमोशनल बेनेफिट और लचीलेपन में सुधार होता है.

3. निर्णय लेने के कौशल में सुधार
विशेषज्ञ के अनुसार, सेल्फ टॉक स्पष्ट सोच को बढ़ावा देती है और निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाती है. जब व्यक्ति सकारात्मक आंतरिक बातचीत में संलग्न होते हैं तो वे परिस्थितियों का निष्पक्ष रूप से आकलन करने और सूचित विकल्प चुनने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होते हैं जिससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान मिलता है.

4. लचीलेपन 
जीवन और काम के प्रति लचीलापन जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहद जरूरी है. सकारात्मक व्यवहार और रचनात्मक रवैये से सेल्फ टॉक लचीलापन के गुणों को विकसित करती है. यह व्यक्तियों को असफलताओं से उबरने, अनुभवों से सीखने और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों को अपनाने में सक्षम बनाता है.

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