KK Death Reason: बॉलीवुड के मशहूर सिंगर केके (कृष्ण कुमार कुन्नथ) की मंगलवार रात कोलकाता में एक लाइव कॉन्सर्ट के दौरान अचानक मौत हो गई. शो के दौरान तबियत बिगड़ने के बाद वो जमीन पर गिर गए. इसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो रास्ते में ही दम तोड़ चुके थे. 53 साल की उम्र होने के बावजूद केके बिल्कुल फिट दिखते थे. सिंगर के यूं अचानक चले जाने से उनके फैंस बहुत हैरान हैं.
शुरुआती रिपोर्ट की मानें तो केके की मौत हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से हुई है. लेकिन मौत की असल वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी. फिलहाल इस मामले में डॉक्टर्स साफतौर से कुछ भी कहने से बच रहे हैं. वहीं, मेदांता अस्पताल के चेयरमैन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेश त्रेहन ने केके की मौत को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की हैं.
कैसे हुई केके की मौत?
डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा, 'प्री एग्जिस्टिंग ब्लॉकेज और तनावपूर्ण स्थिति में अक्सर ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. कोई इंसान लगातार दो-तीन घंटे से लगातार गा रहा है तो जाहिर सी बात है कि स्ट्रेस तो हुआ ही होगा. कॉन्सर्ट में गाने से शरीर की बहुत एनर्जी खर्च होती है. इस दौरान केके ने बार-बार गर्मी लगने की शिकायत भी की थी. लेकिन ये हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है, इसका एहसास शायद उन्हें नहीं हुआ.'
हीट स्ट्रोक भी हो सकती है वजह
डॉ. नरेश त्रेहन के मुताबिक, ऐसा भी संभव है कि इतने बड़े स्टेज पर लगातार लाइट्स के सामने परफॉर्मेंस देते वक्त उन्हें डिहाइड्रेशन हुआ हो, जिससे हीट स्ट्रोक की समस्या पैदा हो गई. दरअसल, हीट स्ट्रोक में इंसान का खून गाढ़ा हो जाता है जिससे ब्लड क्लॉटिंग की संभावना बढ़ जाती है और ऐसा तब होता है जब इंसान पहले से ही दिल से जुड़ी किसी बीमारी का शिकार रहा हो.
ऐसे मामलों में 'कोरोनरी आर्टरी रेप्चर' की समस्या भी हो सकती है जिसे मेडिकल भाषा में डिसेक्शन कहा जाता है. इसमें अचानक हार्ट अटैक आने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं. कई बार मरीज के लिए इसके लक्षणों को समझना जरा मुश्किल हो जाता है, इसलिए 25 साल की उम्र में अपना हेल्थ चेकअप जरूर करवा लेना चाहिए.
हार्ट डीसीज़ की वजहें
ऐसे कई कारण हैं जो दिल से जुड़ी बीमारियों को ट्रिगर कर सकते हैं. तनाव, मोटापा, एक्सरसाइज ना करना, डायबिटीज या प्री डायबिटीज और स्लीप एपनिया जैसे प्रमुख कारक इसे बढ़ावा दे सकते हैं. इसमें उम्र या फैमिली हिस्ट्री जैसे कारकों को बदला नहीं जा सकता है, लेकिन बाकी फैक्टर्स को कंट्रोल करके मरीज की जान बचाई जा सकती है.
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