COVID-19 cases in India: भारत में कोरोनावायरस को लेकर बढ़ती चिंताएं बढ़ रही हैं और इसके बीच स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट पर है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, 2 जून को सुबह 08:00 बजे तक COVID-19 के एक्टिव मामलों की संख्या 3961 है और कुल मौतों की संख्या 28 है. हालांकि केरल में एक्टिव मामलों की संख्या 1435, महाराष्ट्र में 506, दिल्ली में 483 और गुजरात में 338 हो गए हैं. भारत में कोरोना के मामले में यह उछाल उभरते हुए वेरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 के कारण बताया जा रहा है जब कि JN.1 अभी भी प्रमुख स्ट्रेन बना हुआ है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से शांत रहने और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर स्वच्छता बनाए रखने की चेतावनी दी है. जिन वयस्कों को पहले से ही कोई बीमारी है और जो वैक्सीन या बूस्टर डोज नहीं लगवा पाए हैं, उनमें वायरस का खतरा अधिक होता है. अब ऐसे में नए वैरिएंट के कारण कौन से लक्षण नजर आ रहे हैं, इस बारे में डॉक्टर ने बताया है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों को चिंचत न होने का आग्रह भी किया है. भारत में कोविड-19 के संभावित उछाल से निपटने के लिए मेडिकल व्यवस्था दुरुस्त बताई जा रही है. वायरस के धीरे-धीरे रूप बदलने और लक्षणों के विकसित होने के साथ, स्वास्थ्य अधिकारी लोगों से एहतियाती उपाय अपनाने का आग्रह कर रहे हैं, जिसमें स्वच्छता, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क का उपयोग और समय पर जांच शामिल है. हालांकि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि लापरवाही प्रगति को उलट सकती है.
नए मामले के लिए जिम्मेदार है NB.1.8.1
सिंगापुर में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया, JN.1 के दो वंशज वंश LF.7 और NB.1.8.1 अब स्थानीय रूप से दो-तिहाई से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि स्थानीय रूप से प्रसारित होने वाले वैरिएंट पहले फैलने वाले वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हैं या अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं. इस महीने की शुरुआत में, जब सिंगापुर में मामलों में वृद्धि दर्ज की जा रही थी, तो अधिकारियों ने कहा कि पूरे साल कोविड-19 की आवधिक लहरों की उम्मीद की जा सकती है.
ये हैं नए सब-वैरिएंट के लक्षण
पूना हॉस्पिटल के इंटेंसिव केयर के एक्सपर्ट डॉ. अजीत तम्बोलकर ने कहा, 'हमारे पास एक कोविड मरीज है, जो 70 वर्षीय डायबिटीज पैशेंट हैं जो आइसोलेशन वार्ड में है. उन्हें आईसीयू देखभाल की आवश्यकता नहीं है. एक अन्य को हाल ही में छुट्टी दी गई थी जो लड़की थी और उसने हाल ही में बाहर ट्रेवल किया था. उसे छुट्टी दे दी गई है. 70 वर्षीय व्यक्ति को शुरू में ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जिसे शुक्रवार को बंद कर दिया गया था. ये मामले पिछले सात दिनों में आए हैं. इससे पहले हमारे पास कोई कोविड मामला नहीं था.'
'अभी जो कोरोना के लक्षण सामने आ रहे हैं वे हल्के हैं और उनमें खांसी, जुकाम, बुखार और फ्लू जैसे लक्षण ही सामने आए हैं. हम लोगों को सुझाव देते हैं कि अगर उनके लक्षण तीन दिनों से अधिक समय तक रहते हैं तो वे मेडिकल हेल्प लें.'
कब कराएं कोरोना की जांच?
स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि बुखार, नाक बंद होना, मतली, पाचन संबंधी समस्याएं और गले में दर्द जैसे लक्षणों की निगरानी करें और यदि ये लक्षण 3-4 दिन से अधिक समय तक रहते हैं तो RT-PCR टेस्ट कराएं.
एनबी.1.8.1 (NB.1.8.1)
एशिया के कुछ क्षेत्रों में, NB.1.8.1 को कोविड-19 मामलों में वृद्धि से जोड़ा गया है. एनबी.1.8.1 के मामले में, यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैलने के संकेत दे रहा है, और कुछ विशिष्ट लक्षण भी सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है. इस वैरिएंट ने अभी तक कोई खास खतरनाक काम नहीं किया है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी इस पर नज़र रख रहे हैं.
NB.1.8.1 में A435S, V445H और T478I नाम के स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन हैं जो इसकी संक्रामकता और इम्यूनिटी से बचने की क्षमता दोनों को बढ़ा सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि, जबकि NB.1.8.1 में मानव कोशिकाओं से जुड़ने की अधिक क्षमता है जो इसे और भी अधिक संक्रामक बना देता है. वर्तमान में यह सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है कि यह अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है या अन्य वैरिएंट की तुलना में इम्यूनिटी से बचने में बेहतर है. इस वैरिएंट पर नजर रखी जा रही है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह खतरनाक है.
NB.1.8.1 से संक्रमित लोगों ने अन्य ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट के समान लक्षण बताए हैं। इनमें शामिल हैं: लगातार खांसी, गला खराब होना, थकान, सिरदर्द, भूख में कमी, आंत संबंधी समस्याएं, धुंधली दृष्टि, मतली या चक्कर आना. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वैरिएंट के साथ रिपोर्ट किया गया एक लक्षण लगातार कम-ग्रेड हाइपरथर्मिया (बुखार नहीं) है. एक सामान्य बुखार के विपरीत, हाइपरथर्मिया में शरीर के सेट पॉइंट में बदलाव के बिना शरीर का तापमान बढ़ जाता है. इसका मतलब है कि शरीर सामान्य से अधिक गर्म महसूस करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह बुखार के रूप में दर्ज हो.
एलएफ.7 (LF.7)
एलएफ.7, जेएन.1 वैरिएंट का सब-लीनेज है जो भारत में सबसे प्रभावी स्ट्रेन बना हुआ है जो सभी सीक्वेंस सैंपलिंग का 53 प्रतिशत है. इस सब-वैरिएंट की निगरानी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 'निगरानी के अंतर्गत वैरिएंट' के रूप में की जा रही है जिसका अर्थ है कि इनमें ऐसे म्यूटेशन हैं जो वायरस के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अभी तक 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' या 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है.
प्रारंभिक चरणों में किए गए अध्ययनों और विशेषज्ञों के आकलन से पता चलता है कि ये सब-वैरिएंट अधिक संक्रामक हैं और इनमें पहले के वैरिएंट की तुलना में इम्यूनिटी को चकमा देने की अधिक क्षमता है.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क