दो सिर और तीन पैर वाले बच्चे क्यों पैदा होते हैं? जानें कब होता है ऐसा

हाल ही में भारत में दो सिर वाले बच्चे के पैदा होने का एक मामला सामने आया है. इस बच्चे के दो सिर तीन हाथ और दो दिल हैं. डॉक्टर्स का मानना है कि यह काफी रेयर मामला होता है. इस तरह से पैदा हुए बच्चों के जीवित रहने के चांसेज काफी कम होते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि यह डाइसेफेलिक पैरापैगस नामक बीमारी है. तो आइए जानते हैं कि क्या है ये बीमारी और इसके कारण और लक्षण.

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Conjoined twins dicephalic parapagus (photo credit: twitter) Conjoined twins dicephalic parapagus (photo credit: twitter)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

हाल ही में भारत में एक ऐसे बच्चे के जन्म का मामला सामने आया जिसने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया. यहां एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ है जिसके दो सिर, तीन हाथ और दो दिल हैं. 

शाहीन खान और उनके पति सोहेल को शुरुआत में बताया गया कि उनके जुड़वां बच्चे पैदा होने वाले हैं. लेकिन जब बच्चों का जन्म हुआ तो डॉक्टरों समेत मैटरनिटी वॉर्ड में स्थित हर किसी की आंखे फटी की फटी रह गईं. शाहीन ने ऐसे बच्चे को जन्म दिया जिसके दो सिर हैं. यह मामला मध्यप्रदेश के रतलाम का है. नवजात के जन्म के तुरंत बाद ही उसे इंदौर के बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया गया जबकि बच्चे की मां को जिला अस्पताल में ही रखा गया.

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डॉक्टर्स का कहना है कि यह डाइसेफेलिक पैरापैगस नामक बीमारी है. डॉक्टर का मानना है कि यह एक दुर्लभ मामला है. इस तरह के बच्चों के जीवित रहने की संभावना काफी कम होती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या होती है डाइसेफेलिक पैरापैगस डिजीज, कैसे एक साथ जुड़े हुए पैदा होते हैं बच्चे और क्या हैं इसके कारण-

क्या है डाइसेफेलिक पैरापैगस डिजीज?

डाइसेफेलिक पैरापैगस डिजीज एक ही शरीर पर दो सिरों के साथ आंशिक जुड़ाव का एक दुर्लभ रूप है. नवजात शिशुओं के इस तरह जुड़े होने को आम भाषा में दो सिर वाले बच्चों के नाम से भी जाता है. इस तरह से जन्मे बच्चों की ज्यादातर जन्म से पहले या जन्म के तुरंत बाद ही मौत हो जाती है. इस तरह से जुड़े बच्चों की जीने की संभावना काफी कम होती है. 

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मेयो क्लिनिक के अनुसार, इस तरह के जुड़वां बच्चे पेल्विस, पेट या छाती से एक साथ जुड़े होते हैं लेकिन इनके सिर अलग-अलग होते हैं. इसके अलावा, इन जुड़वां बच्चों के दो, तीन या चार हाथ और दो या तीन पैर हो सकते हैं. इस तरह के बच्चों में शारीरिक अंग कई बार एक ही होते हैं या अलग-अलग भी हो सकते हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां डॉक्टर्स ने एक साथ जुड़े बच्चों को अलग किया है लेकिन इसकी संभावना काफी कम होती है. साथ ही इस तरह की सर्जरी में यह निर्भर करता है कि बच्चे कहां से जुड़े हुए हैं और कौन से अंगों को शेयर कर रहे हैं. 

डाइसेफेलिक पैरापैगस के क्या कोई लक्षण दिखते हैं?

इसके ना तो कोई संकेत होते हैं और ना ही लक्षण जिसके जरिए पता लग पाए कि बच्चे जुड़े हुए पैदा होंगे. बाकी ट्विन प्रेग्नेंसी की तरह की इसमें गर्भाशय काफी तेजी से बढ़ता है. साथ ही महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में ज्यादा थकान, चक्कर आना और उल्टी की समस्या का सामना करना पड़ता है. स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड्स के जरिए प्रेग्नेंसी के शुरूआती समय में एक साथ जुड़े हुए बच्चों (Conjoined twins ) का पता लगाया जा सकता है. 

कैसे पैदा होते हैं एक साथ जुड़े हुए बच्चे

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कंज्वाइंड ट्विन्स को आमतौर पर इस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है कि वे कहां से जुड़े हुए हैं.  कई बार इस तरह से जुड़े हुए बच्चे शरीर के किसी हिस्से से जुड़े होते हैं तो वहीं कुछ बच्चे एक ही अंग को एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं. 

जुड़वां होने के बजाय एक साथ जुड़े हुए बच्चे कैसे पैदा होते हैं

गर्भधारण के कुछ हफ्तों के बाद फर्टिलाइज्ड एग दो अलग-अलग भ्रूण में बंट जाता है और इसमें अंगों के बनने का काम शुरू हो जाता है. ऐसा होने पर जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं लेकिन कुछ मामलों में भ्रूण के अलग-अलग होने का यह प्रोसेस बीच में ही रुक जाता है जिससे जुड़वां होने के बजाय दो सिर वाले या जुड़े हुए बच्चे पैदा हो जाते हैं.
 

इन हिस्सों से एक साथ जुड़े हो सकते हैं कंज्वाइंड ट्विन्स- 

छाती- एक साथ जुडे़ हुए बच्चे कई मामलों में छाती से जुड़े होते हैं. इस जगह से जुड़े होने के कारण बच्चे कई बार एक ही दिल, लीवर और बड़ी आंत को शेयर करते हैं. कंज्वाइंड ट्विन्स के अत्यधिक मामलों में बच्चों का शरीर के इस हिस्से से जुड़ा हुआ होना काफी आम होता है. 

पेट- कई बार बच्चे पेट से एक साथ जुड़े हुए होते हैं. इस तरह से जुड़े हुए बच्चों में लीवर और छोटी आंत के निचले हिस्से और कोलन एक ही होता है. इस जगह से जुड़े हुए बच्चों का दिल अलग-अलग होता है. 

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रीढ़ का निचला हिस्सा- कई बार बच्चे रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से जुड़े हुए होते हैं. इस जगह से जुड़े हुए बच्चे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट ( जठरांत्र क्षेत्र), जननांग और यूरिनरी ऑर्गन शेयर करते हैं.

रीढ़ की लेंथ- कई बार बच्चे रीढ़ की हड्डी की लेंथ से जुड़े हुए होते हैं. इस जगह से जुड़े हुए बच्चे काफी रेयर होते हैं. 

पेल्विस - इस जगह से जुड़े हुए बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट का निचला हिस्सा , लीवर, जननांग और यूरिनरी ट्रैक्ट कॉमन होते हैं. इस जगह से जुड़े हुए बच्चों के दो या तीन पैर हो सकते हैं.

हेड- इसमें बच्चे सिर के आगे या पीछे वाले हिस्से से जुड़े हुए होते हैं. इस जगह से जुड़े हुए बच्चों में सिर एक ही होता है.  लेकिन इन बच्चों का ब्रेन आमतौर पर अलग होता है. हालांकि, यह बच्चे ब्रेन के कुछ टिशूज को शेयर कर सकते हैं.

हेड और चेस्ट- इसमें बच्चे चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्से से जुड़े हुए होते हैं. इस तरह से जुड़े हुए बच्चों को चेहरा विपरीत दिशा में होता है और यह ब्रेन को एक साथ शेयर करते हैं. इस तरह से जुड़े हुए बच्चों का जीवित रहना काफी मुश्किल होता है. 

ट्रंक- इसमें बच्चे पेल्विस के साइट टू साइड और पेट और चेस्ट के कुछ हिस्सों से जुड़े होते हैं लेकिन इनके सिर अलग-अलग होते हैं. इस जगह से जुड़े होने के कारण इस तरह के बच्चों के दो, तीन या चार हाथ और दो या तीन पैर हो सकते हैं. 

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कई मामलों में यह भी देखने को मिलता है कि कंज्वाइंड ट्विन्स  (conjoined twins) में एक दूसरे शिशु की तुलना में कम विकसित हुआ होता है.

डाइसेफेलिक पैरापैगस के रिस्क फैक्टर

कंज्वाइंड ट्विन्स काफी रेयर होते हैं. ऐसे में यह पता करना काफी मुश्किल होता है कि ऐसा आखिर क्यों होता है. इस बात का पता लगाना भी काफी मुश्किल है कि किन लोगों के कंज्वाइंड ट्विन्स हो सकते हैं. 

 

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