नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं को क्या होता है ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा?

जो महिलाएं दफ्तर में नाइट शिफ्ट करती हैं वे इस खबर को जरूर पढ़ें. वैज्ञानिकों ने एक शोध अध्ययन में दावा किया था कि रात में कंप्यूटर के सामने काम करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा दोगुना होता है. तो क्या वाकई ऐसा है... जानिये... 

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वंदना भारती

  • लंदन,
  • 02 जुलाई 2013,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

साल 2007 में आई एक शोध की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि रात में कंप्यूटर के सामने काम करने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा होता है. लिहाजा रिपोर्ट में नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं को सावधान किया गया था कि यह श‍िफ्ट उन्हें जानलेवा बीमारी दे सकती है. वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि जो महिलाएं 30 साल से नाइट शिफ्ट कर रही हैं उन्‍हें ब्रेस्‍ट कैंसर होने का खतरा दोगुना होता है.

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शोधकर्ताओं का मानना था कि नाइट शिफ्ट के दौरान आर्टिफीशियल रोशनी यानी कि कृत्रिम प्रकाश शरीर में मौजूद रसायनों को नुकसान पहुंचाता है और यह प्रक्रिया ट्यूमर के विकास को गति देती है.

यह शोध इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रीसर्च ऑन कैंसर (IARC) के शोधकर्ताओं ने साल 2007 में किया था और इस शोध के नतीजों में यह बात कही गई थी कि बॉडी क्लॉक के गड़बड़ होने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

 

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 इस शोध के नतीजों पर एक बार फिर यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया और पाया कि लंबी चलने वाली नाइट श‍िफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने का खतरा नहीं है.

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अध्ययन की रिपोर्ट नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जरनल में भी प्रकाश‍ित की गई है.

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इस विषय पर 10 बार अध्ययन किए गए, जिसमें 1.4 मिलियन महिलाओं को शामिल किया गया.

सभी अध्ययनों में यही पाया गया कि महिला चाहे पहली बार नाइट श‍िफ्ट में काम कर रही है या कुछ सप्ताह से या 20 या 30 वर्षों से, नाइट श‍िफ्ट की वजह से उसमें ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने का खतरा नहीं होता.

 

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