बढ़ती उम्र के साथ इंसान की कामोत्तेजना (लिबिडो) में कई तरह के बदलाव आते हैं. हार्मोन में बदलाव की वजह से पुरुषों और महिलाओं में सेक्स ड्राइव से जुड़ी मुश्किलें बढ़ने लगती हैं. इसके अलावा साइकोलॉजिकल, इमोशनल और फिजिकल कारक भी पुरुषों और महिलाओं की सेक्स ड्राइव में बदलाव के लिए एकसाथ काम करते हैं. रिलेशनशिप के नेचर और कपल्स की सेक्स लाइफ का असर भी इस पर पड़ता है. आइए इसी कड़ी में आपको बताते हैं कि आखिर उम्र के साथ इंसान की सेक्स ड्राइव कैसे बदलती है.
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20 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग- 20 से 29 साल की आयु के बीच पुरुष टेस्टोस्टेरॉन की वजह से हायर सेक्स ड्राइव का अनुभव करते हैं. इस दौरान कामोत्तेजना के लिए जरूरी हार्मोन सामान्य रूप से हाई लेवल पर होते हैं. हालांकि, कई बार पुरुषों को अपनी सेक्स परफॉर्मेंस को लेकर गंभीर चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण वे एरक्टाइल डिसफंक्शन का शिकार होते हैं. वहीं, इस आयु वर्ग में महिलाएं सबसे ज्यादा फर्टाइल होती हैं. लेकिन शारीरिक संबंधों को लेकर काफी गंभीर भी रहती हैं.
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30 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग- एक्सपर्ट कहते हैं कि 30 साल की उम्र के बाद भी पुरुषों की सेक्स ड्राइव काफी मजबूत रहती है, लेकिन 40 तक पहुंचते-पहुंचते वो धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती है. ये ऐसा समय होता है जब वे अपने करियर, परिवार या वैवाहिक जीवन के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, जो उनकी कामोत्तेजना को प्रभावित कर सकता है.
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प्रेग्नेंसी के बाद बदलाव- पुरुष और महिलाएं दोनों ही प्रेग्नेंसी के दौरान अलग तरह के फेज से गुजरते हैं. इस दौरान महिलाओं के अंदर शारीरिक रूप से कई तरह के बदलाव आते हैं और उनके हार्मोन भी प्रभावित होते हैं. वहीं, पुरुष भी एक साइकोलॉजिकल फेज से गुजरते हैं, जहां दोनों को हाई सेक्स ड्राइव का अनुभव होता है. बच्चे के जन्म के बाद कपल्स की लाइफ में इमोशनल और साइकोलॉजिकल दबाव भी बढ़ने लगता है. ब्रेस्टफीडिंग, शिशु की देखभाल और काम का वजन कपल्स की सेक्स लाइफ पर भारी पड़ने लगता है.
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40 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग- 40 साल या उससे ज्यादा उम्र के पुरुषों और महिलाओं में सेहत से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें सेक्स ड्राइव में बदलाव का कारण बनती हैं. हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें जैसे कि हार्ट डिसीज, डायबिटीज या कॉलेस्ट्रोल के चलते पुरुषों में एरक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस बीच वे लगातार कई तरह की मेडिसिनल ड्रग्स का भी इस्तेमाल करते हैं, जिससे कामोत्तेजना पर असर पड़ता है.
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महिलाओं के साथ भी समान दिक्कत- वहीं, इस आयु वर्ग की महिलाए मेनोपॉज की तरफ बढ़ती हैं. उन्हें सेक्स ड्राइव में कमी महसूस होने लगती है. उनका वजन अचानक से बढ़ने लगता है और नींद न आने की समस्या भी बढ़ने लगती है. इस तरह के और भी कई परिवर्तन होत हैं जो शारीरिक संबंध बनाने से उन्हें दूर रखते हैं.
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सेक्स ड्राइव से जुड़ी समस्या होने पर संबंधित व्यक्ति के पास डॉक्टर से संपर्क करना ही सबसे बेहतर विकल्प होता है. यदि आपको सेक्स ड्राइव से जुड़ी समस्या है और पार्टनर के साथ संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं रहती तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें. फिर चाहे आप किसी भी आयु वर्ग के ही क्यों न हों.
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डाइट और वर्कआउट- एक्सपर्ट दावा करते हैं कि सही लाइफस्टाइल अपनाने से इंसान की सेक्स ड्राइव बेहतर होती है. हमें अपनी डाइट में सेहतमंद चीजों को शामिल करना चाहिए. हरी सब्जियों और फलों का अच्छे से सेवन करना चाहिए. इसके अलावा रेगुलर एक्सरसाइज या किसी भी तरह के वर्कआउट से भी इस पर अच्छा असर पड़ता है.