कोविड से हुई मौत का मुआवजा मामले में 23 मार्च को आएगा सुप्रीम कोर्ट का आदेश

कोविड से हुई मौत के बाद परिजनों के सबसे अधिक दावेदारों वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल हैं. मौतों के लिए परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे के दावों में से पांच फीसदी की औचक जांच करने के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करेगा.

Advertisement
Supreme court Supreme court

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST
  • कोरोना मौतों के 5% दावों की औचक जांच का प्रस्ताव
  • 23 मार्च को आएगा सुप्रीम आदेश

सुप्रीम कोर्ट चार राज्यों में कोविड से हुई मौत के लिए परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे के दावों में से पांच फीसदी की औचक जांच करने के प्रस्ताव पर आदेश जारी करेगा. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रखा है. कोर्ट बुधवार यानी 23 मार्च को आदेश जारी करेगा. 

मौतों के प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा 

Advertisement

कोर्ट ने कहा कि चार राज्य कोविड से हुई मौत के बाद परिजनों के सबसे अधिक दावेदारों वाले हैं. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल हैं. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने कोविड से हुई मौत के प्रमाणपत्र जारी करने में हो रहे फर्जीवाड़े की जांच, सहायता राशि या मुआवजे के दावे दाखिल करने के लिए समय सीमा तय करने की गुहार लगाई थी.

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ठीक है हम समय सीमा तय करने के लिए भी आदेश जारी करेंगे. इसके साथ ही हम राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरण को इन दावों और दस्तावेजों की औचक जांच और सत्यापन का अधिकार भी दे सकते हैं. उसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर अधिकृत किया जाएगा.

'बढ़ाई जाए मुआवजे के दावे की मोहलत'

Advertisement

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ही ये प्रस्ताव रखा कि दावों की हकीकत जानने के लिए राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर सैंपल सर्वे किया जा सकता है. क्योंकि इस परिस्थिति में सभी दावों की फिर से शीघ्र जांच असंभव है. इसके साथ ही मुआवजे का दावा करने की अंतिम समय सीमा भी चार हफ्ते से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. जस्टिस शाह ने कहा कि चार हफ्ते तो बहुत कम है. क्योंकि कोविड हो जाए और फिर निधन भी तो तनाव और दुख में आए परिजनों को पहले तो उससे निकलने में वक्त लग जाता है फिर वो दावे की बात सोचता है. लिहाजा हमारा विचार है कि कम से कम छह हफ्ते की मोहलत दी जानी चाहिए. 

'कोविड से मौत कितनी हुई?'

साथ ही हमें पहले तो उन राज्यों के आंकड़े चाहिए जहां कोविड से मौत कितनी हुई? दावे कितने आए? सहायता राशि का भुगतान कितनों को मिला और फर्जी सर्टिफिकेट के साथ कितने दावे सामने आए? कोर्ट ने पूछा कि कौन सी एजेंसी ये कर सकेगी तो सरकार बोली- हम इस पर सोच रहे हैं. इस पर वकील आर बसंत ने कहा कि जो भी जांच पड़ताल हो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला न्यायाधीश के स्तर पर ही होनी चाहिए. इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास ऐसी जांच करने की पूरी व्यवस्था है. इस पर बसंत ने कहा कि जिला स्तर पर जांच और सत्यापन होने से कुछ भूल चूक भी हो तो फिर से उस पर विचार किया जा सकता है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement