'प्रकृति से खिलवाड़ मत करो, वह बख्शेगी नहीं', पॉलर नदी प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

तमिलनाडु की पॉलर नदी में टैनरी इकाइयों के बिना ट्रीटमेंट वाले अपशिष्ट से फैलते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है. सोमवार को इस मामले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को कड़े शब्दों में चेतावनी दी.

Advertisement
तमिलनाडु पॉलर नदी केस में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती (File photo) तमिलनाडु पॉलर नदी केस में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती (File photo)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:09 AM IST

तमिलनाडु की पलार नदी में बिना ट्रीटमेंट वाले अपशिष्ट (untreated tannery effluents) से हो रहे प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने अधिकारियों को इस मुद्दे को एक चुनौती के रूप में लेने और इस पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा, "प्रकृति से खिलवाड़ न करें, प्रकृति आपको बख्शेगी नहीं."

Advertisement

पीठ ने प्रदूषण के गंभीर परिणामों पर जोर देते हुए कहा, "कल्पना कीजिए कि हजारों लीटर प्रदूषण नदी में छोड़ा जा रहा है - उस नदी की हालत क्या होगी? लोग उसी से पानी लेते हैं."

अधिकारियों को दिया निर्देश

अधिकारियों को चुनौती स्वीकार करने और टीमवर्क के साथ काम करने की सलाह देते हुए बेंच ने कहा- "आप इसी राज्य के निवासी हैं, क्यों न इसे एक चुनौती मानकर कुछ अच्छा किया जाए? जरूरत पड़े तो दोषियों को पकड़कर खड़ा कर दें."

यह भी पढ़ें: दिल्ली-NCR के सारे आवारा कुत्ते पकड़कर शेल्टर होम में डाले जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश

तीन जिला कलेक्टरों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की दलीलें सुनने के बाद, कोर्ट ने दो मुख्य चिंताओं की पहचान की- केंद्रीय अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (CETPs) का कामकाज और अदालत द्वारा गठित समिति.

Advertisement

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि CETPs को अपनी इष्टतम क्षमता पर काम करना चाहिए ताकि बिना ट्रीटमेंट वाला अपशिष्ट सीधे नदी में न जाए.

दो हफ्ते के अंदर दें रिपोर्ट- कोर्ट

अदालत ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए "संयुक्त कार्रवाई" का आह्वान किया और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो "हालात बद से बदतर हो जाएंगे". कोर्ट ने अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक ठोस कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

यह भी पढ़ें: 'जज को शर्मिंदा नहीं करना चाहते थे...', इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का यूटर्न

इससे पहले भी, सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों से हर्जाना वसूलने जैसे कई निर्देश जारी किए थे. कोर्ट ने नुकसान का आकलन और उसे कम करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल के गठन का भी निर्देश दिया था.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement