CBI जांच के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज, SC ने पूछा- अनिल देशमुख को बचाना चाहते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज CBI की FIR से पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति-ट्रांसफर और सचिन वाजे की बहाली से जुड़े दो पैरा हटाने की मांग की थी.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

विद्या

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट से उद्धव सरकार को झटका
  • कोर्ट ने कहा, जांच सीमित नहीं कर सकते

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Government) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच (CBI Investigation) के मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है. 

महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि सीबीआई सिर्फ रेस्टोरेंट और बार से ली गई वसूली के आरोपों की जांच करे और पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर से जुड़े मामले की जांच न करे. 

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) की बेंच ने कहा कि वो बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 जुलाई के फैसले में दखल नहीं देना चाहते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करनी है और हम उन्हें सीमित नहीं कर सकते. कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिका को देखकर लग रहा है कि राज्य सरकार पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को सीबीआई जांच से बचाने की कोशिश कर रही है. 

ये भी पढ़ें-- महाराष्ट्र: CM उद्धव के सचिव को धमकी...मांग पूरी करो नहीं तो CBI, ED की होगी कार्रवाई

क्या है मामला?

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार CBI की FIR से दो पैरा हटवाना चाहती है. इस मामले में सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी, जिसे 22 जुलाई को खारिज कर दिया गया था. महाराष्ट्र सरकार जिन दो पैरा को हटाने की मांग कर रही है, उसमें एक पैरा में लिखा था कि पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मुंबई पुलिस में 15 साल बाद सचिन वाजे की बहाली के बारे में पता था और वाजे को जांच के लिए संवेदनशील मामले दिए गए थे.

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जबकि, दूसरे पैरा में लिखा था कि देशमुख और अन्य लोगों ने पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले में अनुचित प्रभाव डाला है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 जुलाई को दिए आदेश में कहा था कि सीबीआई पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर से जुड़े पहलु की जांच कर सकती है.

 

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