कठुआ गैंगरेप: नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर चलेगा केस, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

कठुआ के जिस गैंगरेप और मर्डर केस ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं थीं. उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में नाबालिग आरोपी शुभम सांग्रा के खिलाफ बालिग मानकर केस चलाया जाएगा.

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कठुआ में नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप और हत्या के केस पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. (File Photo) कठुआ में नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप और हत्या के केस पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. (File Photo)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मामले में नाबालिग आरोपी शुभम सांग्रा को बालिग मानकर उसके खिलाफ केस चलाया जाएगा.  

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस JB पारदीवाला ने कहा कि जब अन्य साक्ष्य उपलब्ध न हों तो ऐसे में अदालत को किशोर की उम्र के संबंध में चिकित्सा पेशेवरों की राय पर विचार करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि 

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जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि चिकित्सकीय साक्ष्यों पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह मौजूद साक्ष्यों के अहमियत पर निर्भर करता है. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि सीजेएम कठुआ के पारित आदेश को रद्द कर दिया जाता है. आरोपी को अपराध के समय किशोर नहीं माना जाएगा, बल्कि उसे बालिग मानकर उस पर कार्रवाई की जाएगी.

कठुआ गैंगरेप घटनाक्रम

कठुआ रेप की घटना की शुरुआत 10 जनवरी हुई. परिवार के मुताबिक, बच्ची 10 जनवरी को दोपहर में घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी और उसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी. करीब एक सप्ताह बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि बच्ची के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार हुआ है और पत्थरों से मारकर उसकी हत्या की गई है. उसके बाद बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या पर देशभर में काफी बवाल मचा था. अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी इसकी आलोचना की गई थी.

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परिजनों ने किया था प्रदर्शन

बच्ची की लाश मिलने के बाद परिजनों ने इलाके में प्रदर्शन भी किया और आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में लोगों ने हंगामा किया और सड़क पर निकलकर प्रदर्शन करने लगे. 20 जनवरी को सरकार की ओर से थाने के एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया और मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए. इसके बाद जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार ने 23 जनवरी को मामले को राज्य पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दिया था, जिसने विशेष जांच दल का गठन किया और मामले की जांच शुरू हो गई.

स्पेशल पुलिस अधिकारी भी शामिल था!

जांच के दौरान अपराध शाखा ने इस पूरे मामले के जांच अधिकारी रहे सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को गिरफ्तार कर लिया. जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि इस सामूहिक बलात्कार मामले में जम्मू-कश्मीर का एक स्पेशल पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया भी शामिल हैं. 10 फरवरी को अपराध शाखा ने दीपक खजुरिया को भी गिरफ्तार कर लिया.

7 आरोपी, 1 को बताया था नाबालिग

इस मामले में पुलिस ने कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक को नाबालिग बताया गया. हालांकि, मेडिकल परीक्षण से यह भी सामने आया कि नाबालिग आरोपी 19 साल का है. पूरी वारदात के मुख्य आरोपी ने खुद ही सरेंडर कर दिया था. गिरफ्तार किए जाने वालों में स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया, पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार, रसाना गांव का परवेश कुमार, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज, पूर्व राजस्व अधिकारी का बेटा विशाल और उसका चचेरा भाई (जिसे नाबालिग बताया गया) शामिल था. इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ पीडीपी और सहयोगी बीजेपी के बीच तल्खी भी बढ़ी थी.

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