Lakhimpur case: जमानत अर्जी पर सुनवाई में आशीष मिश्रा के वकील ने क्यों कह दिया Not Press?

लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 5 आरोपियों की सेशन कोर्ट में बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा के वकील ने अर्जी को not press कहकर वापस ले लिया. वहीं बाकी अन्य 5 आरोपियों की तरफ से भी बड़ी धाराओं में जमानत नहीं डालने की दलील देकर अर्जी वापस ले ली गई है.

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आशीष मिश्रा गिरफ्तार (फाइल फोटो) आशीष मिश्रा गिरफ्तार (फाइल फोटो)

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST
  • आशीष मिश्रा के वकील ने अर्जी को not press कहकर वापस लिया
  • अन्य आरोपियों ने बड़ी धाराओं में जमानत नहीं डालने की दलील दी

लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की तरफ से जमानत पाने के लिए अब हर कानूनी दांव पेंच को समझते हुए अर्जी डाली जा रही हैं. सोमवार को मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 5 आरोपियों की सेशन कोर्ट में बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा के वकील ने अर्जी को not press कहकर वापस ले लिया. वहीं बाकी अन्य 5 आरोपियों की तरफ से भी बड़ी धाराओं में जमानत नहीं डालने की दलील देकर अर्जी वापस ले ली गई है.

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लखीमपुर हिंसा मामले में सोमवार को सेशन कोर्ट में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और अंकित दास, सत्यम, नंदन सिंह बिष्ट शेखर भारती और लतीफ की तरफ से जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट में सुनवाई से पहले ही जमानत अर्जी वापस ले ली गई. आशीष मिश्रा की तरफ से डाली गई बेल एप्लीकेशन को उनके वकील ने कोर्ट में not press कर दिया तो वहीं अंकित दास, सत्यम, नंदन सिंह बिष्ट, शेखर भारती और लतीफ की तरफ से डाली गई बेल एप्लीकेशन यह कहकर वापस ली गई कि जमानत अर्जी पुरानी धाराओं में है. अब केस की धाराएं बदल गई हैं.

Not press का क्या मतलब है?

कानूनी भाषा में not press का मतलब बेल न देना होता है. जब भी किसी मामले में वकील की तरफ से दाखिल की गई अर्जी पर not press कर दिया जाता है तो इसका मतलब होता है कि वकील उस अर्जी पर कोई बहस नहीं करना चाहता. आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर भी उनके वकील की तरफ से not press कर दिया गया. इसका मतलब है कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में लंबित है, जिसका निस्तारण नहीं हुआ है. 

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दरअसल हर बेल एप्लीकेशन में यह शपथ पूर्वक कोर्ट को बताया जाता है कि इस मामले की दर्ज धाराओं में कहीं किसी दूसरी कोर्ट में जमानत अर्जी पेंडिंग नहीं है. अब अगर आशीष मिश्रा की तरफ से डाली गई बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई होती और हाईकोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई लंबित होती तो यह कोर्ट से धोखा देने का मामला बन जाता और आशीष मिश्रा के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो सकती थी. इससे बचने के लिए ही आशीष मिश्रा के वकील की तरफ से जमानत अर्जी को not press किया गया. कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया.
 
वहीं दूसरी तरफ अन्य आरोपी अंकित दास, सत्यम, नंदन सिंह बिष्ट, शेखर भारती और लतीफ की तरफ से डाली गई जमानत अर्जी को यह कहकर वापस लिया गया कि यह जमानत अर्जी पुरानी धाराओं में है, अब केस में धाराएं बदल गई हैं. लिहाजा यह एप्लीकेशन वापस ले ली गई.

दरअसल, सीजेएम कोर्ट से अंकित दास समेत पांच आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी डाली गई. यह जमानत अर्जी पुरानी धाराओं में थी. इसी बीच विवेचना अधिकारी ने जांच के दौरान मिले सबूतों पर केस में पुरानी धारा हटाकर नई धारा जोड़ी और रिमांड बना दिया. अब इस मामले में सभी पांच आरोपियों के खिलाफ की जमानत अर्जी के लिए नई धारा में एप्लीकेशन डाली जाएगी. फिलहाल आज हुई सुनवाई में सेशन कोर्ट ने आशीष मिश्रा और अंकित दास व अन्य आरोपीयों की तरफ से डाली गई जमानत अर्जी को निस्तारित कर दिया है.

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