हिजाब विवाद पर कर्नाटक HC में अब कल दोपहर ढाई बजे फिर होगी सुनवाई

हाई कोर्ट ने कहा कि वह सीधे अदालत के समक्ष दायर किए जा रहे किसी भी हस्तक्षेप आवेदन पर विचार नहीं करेगा. किसी भी जरूरी आवेदन को उचित काउंटर पर दाखिल करना होगा. 

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नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST
  • कई राज्यों में फैल चुका हिजाब विवाद
  • कोर्ट ने कहा- जिम्मेदारी समझे मीडिया

हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो चुकी है. हाई कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया से एक अनुरोध करना चाहते हैं- कृपया अधिक जिम्मेदार बनें. आइए हम सभी राज्य में शांति लाने का प्रयास करें और जिम्मेदार नागरिकों की तरह व्यवहार करें. मामले में सुनवाई कल दोपहर 2.30 बजे होगी.

कोर्ट ने कहा- हमारा एक ही अनुरोध है कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में देखे. अधिवक्ता सुभाष झा बोले- मैं सभी पक्षों के वकीलों से अनुरोध करना चाहता हूं कि इसे सांप्रदायिक रंग न दें. याचिकाकर्ताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने हस्तक्षेप आवेदनों का विरोध करते हुए कहा कि इस प्वाइंट पर इनको एंटरटेन नहीं किया जाना चाहिए.

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हाई कोर्ट ने कहा कि वह सीधे अदालत के समक्ष दायर किए जा रहे किसी भी हस्तक्षेप आवेदन पर विचार नहीं करेगा. किसी भी जरूरी आवेदन को उचित काउंटर पर दाखिल करना होगा, कोर्ट के सामने नहीं. इसे काउंटर के सामने फाइल करें और  हमारे सामने आने दें. याचिकाकर्ताओं की दलील शुरू करते हुए देवदत्त कामत ने कहा  कि सरकारी आदेश (जीओ) अनुच्छेद 25 के मूल में है और ये बिल्कुल वाजिब नहीं है. उन्होंने कहा- सरकार के आदेश में घोषणा की गई कि हिजाब पहनना अनुच्छेद 25 के तहत नहीं आता है, यह पूरी तरह से गलत है.

कामत ने कहा सरकारी आदेश दो बातें कहता है:

1. हिजाब पहनना अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित नहीं है.
2. वे यह तय करने के लिए कॉलेज विकास समिति पर छोड़ रहे हैं कि हिजाब के लिए कोई अपवाद किया जाना चाहिए या नहीं.

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कामत ने कहा- तो क्या एक विधायक और कुछ अधीनस्थों की कॉलेज विकास समिति मौलिक स्वतंत्रता का प्रयोग करने का निर्णय ले सकती है? एक वैधानिक प्राधिकरण को हमारे मौलिक अधिकारों का संरक्षक कैसे बनाया जा सकता है? कामत ने कहा- अनुच्छेद 25 के अधिकार अन्य अधिकारों की तरह सामान्य उचित प्रतिबंधों के अधीन नहीं हैं.

 

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