सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने जगन्नाथ पुरी मंदिर (Jagannath Puri Temple) को छोड़कर किसी भी मंदिर में रथ यात्रा (Rath Yatra) पर रोक लगाने के ओडिशा सरकार (Odisha Government) के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार (Refuse to Intervene) कर दिया. यहां तक कि पुरी मंदिर को भी बेहद प्रतिबंधित यात्रा करने का आदेश दिया गया है.
ओडिशा सरकार के आदेश में हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर वकील जितेंद्र महापात्र ने कहा कि पुरी के अलावा केंद्रपाड़ा यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए, कई याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अन्य मंदिरों को भी जगन्नाथ पुरी मंदिर की तरह ही रथ यात्रा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. महापात्र के बोलते ही कई वकील भी बोलने लगे.
इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए सीजेआई एनवी रमान ने कहा कि आप सभी पब्लिसिटी चाहते हैं? आप सभी अपने माइक को म्यूट कर दें वरना मैं इस मामले को अगले साल तक नहीं सुनुंगा. इसके बाद सीजेआई ने उस विशेष याचिका की पहचान की, जिसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
याचिकाकर्ता के वकील एके श्रीवास्तव ने कहा कि मंदिर के इतिहास में पहली बार हमें पिछले साल धार्मिक अनुष्ठान करने के अधिकार से वंचित किया गया था, इस साल हमने पाबंदियों के मुताबिक तैयारी की है, हम अपने मंदिर में रथ यात्रा करना चाहते हैं, नीलगिरि, सत्संग, बारीपदा में जगन्नाथ मंदिरों ने रथ यात्रा के लिए पुरी मंदिर के समान अनुमति मांगी है.
सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने कहा कि सरकार ने कोविड की स्थिति का मूल्यांकन किया है, दखल देने का सवाल ही नहीं है, मैं खुद पूजा के लिए जाता था, उम्मीद है कि अगले साल भगवान हमें देखने देंगे, तब तक टीवी पर देखिए. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया.
अनीषा माथुर