LJP पर किसका दावा? चिराग पासवान की अर्जी पर HC में आज सुनवाई

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में एलजेपी के सांसद पशुपति पारस को मंत्री बनाए जाने और उससे पहले लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता बनाने के दोहरे झटके से तिलमिलाए चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

Advertisement
LJP पर कब्जे की लड़ाई तेज LJP पर कब्जे की लड़ाई तेज

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST
  • LJP पर कब्जे की लड़ाई हुई तेज
  • आज दिल्ली HC में होगी सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट में आज चिराग पासवान की अर्जी पर सुनवाई होगी. यह सुनवाई लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर कब्जे को लेकर होगी. चिराग पासवान ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी गई है. शुक्रवार हो दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी. 

Advertisement

दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में एलजेपी के सांसद पशुपति पारस को मंत्री बनाए जाने और उससे पहले लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता बनाने के दोहरे झटके से तिलमिलाए चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

चिराग पासवान ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. चिराग ने कहा कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है. 

और पढ़ें- समस्तीपुरः पशुपति पारस के कैबिनेट मंत्री बनने पर बोले चिराग पासवान- चाचा ने पीठ में खंजर घोंपा

चिराग ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जी के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं. लेकिन जहां तक एलजेपी का सवाल है तो पशुपति पारस हमारे दल के सदस्य नहीं हैं. पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री और उनके गुट से बनाया जाए तो LJP का कोई लेना देना नहीं है.

Advertisement

लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति पारस को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फैसले पर पुनर्विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement