दिल्ली दंगा मामले में आरोपी शरजील इमाम समेत छह आरोपियों की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में कई सबूत पेश किए. दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यानी एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में वीडियो क्लिप दिखाई और कहा कि यह सब तब प्लान किया गया था, जब नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) पास होना था.
उन्होंने कोर्ट में यह दलील भी दी कि आरोपियों ने एक अवसर देखा, कि यह मुसलमानों का समर्थन हासिल करने का एक मौका है. यह दिल्ली में किसी साधारण विरोध प्रदर्शन का उदाहरण नहीं था. एएसजी ने कहा कि आरोपी दिल्ली को आपूर्ति रोकना चाहते थे. वे दिल्ली और भारत में पूर्वोत्तर के असम का आर्थिक रूप से गला घोंटना चाहते थे. उन्होंने कहा कि इस विरोध का उद्देश्य लोगों को आवश्यक वस्तुओं से वंचित करना था.
एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में कहा कि वह चिकन नेक का उल्लेख करते हैं, जो 16 किलोमीटर लंबे भूमि का हिस्सा है जो असम को भारत से जोड़ता है. इसे चिकन नेक कहा जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपी कश्मीर के बारे में बात करते हैं, वह मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. एएसजी ने कहा कि फिर वह तीन तलाक के बारे में कहता है और यहां तक कि अदालत को बदनाम भी करता है.
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उन्होंने कोर्ट में बताया कि वह कहते हैं- कोर्ट को नानी याद करा देंगे. वह बाबरी मस्जिद के बारे में बात करते हैं. एसवी राजू ने कहा कि शासन परिवर्तन के उद्देश्य के साथ इसकी (दिल्ली दंगों की) योजना बनाई गई थी और इसीलिए इसका समय डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के समय का ही रखा गया. उन्होंने कोर्ट में कहा कि यह एक संयोग नहीं था, बल्कि पूरी सोची-समझी साजिश थी.
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एसवी राजू ने कहा कि इस साजिश का मुख्य सदस्य क्या कहा है. वह यह नहीं कहता कि यह विरोध है. वह यह कहता है कि यह हिंसक विरोध है, जो असम को भारत से अलग करता है. इस पर कोर्ट ने एएसजी से यह पूछा कि आप यह कह रहे हैं कि वह उकसाता है?
संजय शर्मा