दिल्ली हिंसा: नताशा-कालिता को दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत, पासपोर्ट सरेंडर करने का निर्देश

दिल्ली में पिछले साल हुए दंगों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा नरवाल समेत कई अन्य आरोपियों को जमानत दे दी.

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नताशा और कालिता नताशा और कालिता

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2021,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST
  • नताशा नरवाल समेत अन्य आरोपियों को बेल
  • तीनों आरोपियों पर UAPA भी लगाया गया था

पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा नरवाल समेत तीन आरोपियों को जमानत दे दी. हाई कोर्ट ने जेएनयू की छात्रा नताशा के अलावा देवांगना कालिता और जामिया के स्टूडेंट आसिफ इकबाल तन्हा को भी जमानत दी है. तीनों को बीते साल फरवरी महीने में दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में इन लोगों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) भी लगाया गया था.  

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अपने जमानत आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हम यह कहने के लिए विवश हैं कि ऐसा लगता है कि असंतोष को दबाने की चिंता में मामला हाथ से निकल सकता है. राज्य ने संवैधानिक रूप से मिले विरोध के अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच में लाइन को धुंधला कर दिया है. अगर ऐसा धुंधलापन बढ़ता है, तो फिर लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा.

हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने तीनों आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और उन्हें नियमित जमानत पर स्वीकार करते हुए उनकी अपीलों को मान लिया. हाई कोर्ट ने पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने पासपोर्ट सरेंडर करने और अभियोजन पक्ष के गवाहों को कोई प्रलोभन नहीं देने या मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया है.

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हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि सरकारी और संसदीय कार्रवाइयों के खिलाफ प्रदर्शन वैध हैं. हालांकि, इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के शांतिपूर्ण और अहिंसक होने की उम्मीद करते हैं। जब सरकारी या संसदीय कार्यों का व्यापक विरोध होता है तो भड़काऊ भाषण देना, चक्काजाम का आयोजन और इस तरह की हरकतें असामान्य नहीं हैं.

हाई कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट के सामने सब्जेक्ट चार्जशीट फाइल की गई है. कुछ अपराधों का संज्ञान लिया गया है, लेकिन आरोप तय होने अभी बाकी है. सार्वजनिक गवाहों, संरक्षित गवाहों और पुलिस गवाहों सहित अभियोजन पक्ष के कुछ 740 गवाहों का सब्जेक्ट चार्जशीट में जिक्र किया गया है. मौजूदा कोरोना वायरस की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह शायद की संभव है कि ट्रायल आगे बढ़ेगा और बहुत जल्द ही खत्म हो जाएगा.

कुछ समय पहले नताशा नरवाल के पिता की कोरोना से मौत हो गई थी, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने नताशा को जमानत दे दी थी. नताशा को 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा किया गया था. कोर्ट ने नताशा से पुलिस के लगातार संपर्क में बने रहने और अपना मोबाइल नंबर देने के लिए कहा था. बाद में जमानत की अवधि खत्म होने के बाद नताशा वापस तिहाड़ जेल चली गई थी.

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दिल्ली दंगों के बाद पिछले साल मई महीने में दिल्ली पुलिस ने नताशा नरवाल समेत तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था. सभी पर एनआरसी/सीएए के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों में साजिश रचने का आरोप लगाया गया था. तीनों पर यूएपीए भी लगाया गया था.

 

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