बिहारी मजदूरों की कथित पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप तमिलनाडु की जेल में बंद है. मनीष के मामले में आज SC में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष पर लगे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) को लेकर तमिलनाडु सरकार को को नोटिस जारी किया है. साथ ही बिहार सरकार को भी नोटिस जारी किया है. SC ने मनीष के वकील को याचिका में सुधार करके NSA को चुनौती देने की अपील शामिल करने की इजाजत दी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
सुनवाई के दौरान मनीष कश्यप के वकील ने कहा कि मनीष के खिलाफ तमिलनाडु मे 6 मुकदमे, बिहार में 3 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जबकि एनएसए (NSA) अलग से है. इस पर तमिलनाडु सरकार की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मनीष के 6 मिलियन फॉलोवर हैं, फेक न्यूज फैलाई गई है, एक गवाह ने स्वीकार किया है कि पटना के घर मे वीडियो शूट किया गया था.
सीजेआई ने कहा कि NSA कैसे लग गया? क्यों ना सभी मुकदमों को एकसाथ जोड़ दिया जाए. इस पर कपिल सिब्बल ने सभी मामलों को अलग बताते हुए सभी मुकदमों को बिहार ट्रांसफर करने का विरोध किया. अलग-अलग तीन वीडियो फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर शेयर किए गए हैं. सिब्बल ने कहा कुल चार मामले हुए हैं तीन अलग हैं. वहीं, बिहार सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मनीष आदतन अपराधी है. उसकी हरकतें सिर्फ वीडियो बनाने तक ही सीमित नहीं हैं, उसके खिलाफ गंभीर मामले हैं.
कोर्ट ने जब मनीष के वकील से पूछा कि क्या एनएसए को चुनौती दी गई है? इसके जवाब देते हुए मनीष के वकील ने कहा कि NSA को चुनौती देते हुए अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल किए गए हैं. वकील के बताने पर सीजेआई ने कहा कि हम आपको उस याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता देंगे, जिससे आप NSA को चुनौती दे सकते हैं. हम नोटिस जारी करेंगे. अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
मनीष का आरोप- झूठी एफआईआर कराई गई दर्ज
5 अप्रैल को हुई सुनवाई में मनीष कश्यप के वकीलों ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है. मनीष ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सत्ताधारी सरकार के इशारे पर बिहार और तमिलनाडु में उनके खिलाफ कई झूठी एफआईआर दर्ज की गई है.
खुद को सन ऑफ बिहार लिखता है यूट्यूबर
बता दें कि मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण के डुमरी महनवा गांव में हुआ. मनीष खुद को 'सन ऑफ बिहार' (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखता है. उसका असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. अपने नाम के पीछे वो 'कश्यप' लगाता है. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर 'मनीष' लिखता है. उसकी शुरुआती शिक्षा गांव से ही हुई. उसने साल 2009 में 12वीं पास की. इसके बाद में महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय से उच्च शिक्षा पूरी हुई. मनीष ने साल 2016 में पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में BE किया. इसके दो साल बाद यूट्यूब चैनल बनाकर वीडियो बनाने लगा.
2020 में चुनाव लड़ चुका है मनीष
साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में मनीष ने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया था. मनीष के पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रहे हैं.
क्या था पूरा मामला?
सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि तमिलनाडु में रहने वाले बिहारियों के खिलाफ हमले हो रहे हैं, जिसमें दो बिहारी मजदूरों की मौत भी हो गई. सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए गए. इसके बाद तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूरों के बीच दहशत का माहौल बन गया था. इन वीडियो को सच मानकर बिहार के मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और मुख्य सचिव व डीजीपी को मामले की जांच का आदेश दिया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 4 सदस्यीय टीम तमिलनाडु गई थी, जहां मामले की पड़ताल की गई.
संजय शर्मा / कनु सारदा