अयोध्या: इंद्र प्रताप तिवारी की मुश्किलें जारी, हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी

29 साल पुराने मुकदमे में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इंद्र प्रताव तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी. तिवारी को इस केस में पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी. बीते गुरुवार को विधानसभा से भी उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट (File Photo) इलाहाबाद हाई कोर्ट (File Photo)

बनबीर सिंह

  • अयोध्या,
  • 14 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST
  • 29 साल पुराने केस में जमानत अर्जी खारिज
  • राजनीतिक करियर पर भी संकट
  • पत्नी के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज

'विधायक बनूंगा, तभी घोड़ी चढ़ूंगा' का संकल्प लेने वाले अयोध्या के भाजपा विधायक रहे इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी मुश्किल में फंस गए हैं. 29 साल पुराने मुकदमे में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी. इस केस में पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी. बीते गुरुवार को विधानसभा से भी उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.

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सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. खब्बू तिवारी ने अपनी जमानत याचिका के साथ फैजाबाद सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक की भी मांग की थी.

फैजाबाद सत्र न्यायालय से 5 वर्ष के कारावास की सजा होने के बाद खब्बू तिवारी की विधानसभा से सदस्यता पहले ही समाप्त हो चुकी है. इसलिए खब्बू तिवारी की तरफ से जमानत अर्जी के साथ सत्र न्यायालय की सजा पर रोक की भी मांग की गई थी. खब्बू तिवारी की तरफ से लखनऊ हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने पैरवी की. वहीं अर्जियों का विरोध सरकारी वकील के साथ-साथ आपत्तिकर्ता मोहम्मद जुनैद के वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार ने किया. इसके बाद न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की एकल बेंच ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी.

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यह है पूरा मामला

दरअसल, यह पूरा मामला 1992 का है. अयोध्या के साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी पर फर्जी मार्कशीट के जरिए बीएससी द्वितीय वर्ष में प्रवेश को लेकर केस दर्ज कराया था. फर्जी मार्कशीट के खेल में उनके साथ छात्र नेता रहे फूलचंद यादव और कृपा निधान तिवारी को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में अयोध्या के राम जन्मभूमि थाने में साकेत डिग्री कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ने इन तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. 

इस फर्जी मार्कशीट मामले में फैजाबाद की एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देते हुए अयोध्या जनपद के गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी, तत्कालीन छात्र नेता फूलचंद यादव और कृपा निधान तिवारी को 5 साल और 13000 जुर्माने की सजा सुनाई थी. इसी कारण बीते गुरुवार को विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.

विधायक बनने के लिए कई बार बदली पार्टी

विधायक बनने के लिए इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी ने कई बार पार्टी बदली. 1994-95 में फैजाबाद के साकेत कॉलेज चुनाव में महामंत्री के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले खब्बू तिवारी 2007 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अयोध्या विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरे. 

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हालांकि वह चुनाव हार गए. उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ दिया और बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए. 2012 में उन्होंने फैजाबाद जिले की गोसाईगंज विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी वह चुनाव हार गए. तब तक दर्जनभर से अधिक संगीन अपराधिक मामले नाम के आगे अलग से दर्ज हो गए. 

2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, लेकिन गोसाईगंज विधानसभा सीट गठबंधन में जाने के बाद एक बार फिर भाजपा को किनारे कर अपना दल का दामन थाम लिया. अनुप्रिया पटेल से टिकट ले आए. हालांकि टिकट भले अनुप्रिया पटेल के कोटे का था. गोसाईगंज से भाजपा और अपना दल के प्रत्याशी बने और विधायक बन गए. चुनाव में लगातार उनका यह कहना था कि विधायक बनूंगा, तभी घोड़ी चढ़ूंगा, वह सपना भी पूरा हो गया.

अब पत्नी के चुनाव लड़ने की हो रही चर्चा

तत्कालीन फैजाबाद और अब अयोध्या जनपद की गोसाईगंज सीट से विधायक बनने के बाद जून 2018 में विधायक की शादी हो गई. 29 साल पुराने मुकदमे में फैजाबाद सत्र न्यायालय से 5 साल की सजा और जुर्माना होने के बाद हाई कोर्ट से भी अब उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई है. अब उनके समर्थक इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि चुनाव तो लड़ना ही है, भले उनकी पत्नी चुनाव लड़ें. 

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