Jokes in Hindi: भैंस पूंछ क्यों हिलाती है? वजह जानकर कंट्रोल नहीं कर पाएंगे आपनी हंसी

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हंसने से हमारी बॉडी रिलैक्स मोड में आ जाती है. हंसना एक प्राकृतिक व्यायाम है. जब हम हंसते हैं तो हमारी मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है. इसलिए हंसते-मुस्कुराते और खिलखिलाते रहना सभी के लिए जरूरी है. पढ़ें मजेदार चुटकुले.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST

> मास्टरजी- भैंस पूंछ क्यों हिलाती है?
छात्र- क्योंकि पूंछ में इतनी ताकत नहीं होती कि भैंस को हिला सके...

 

> लड़की मेरा जानू, मेरे बेबी, मेरा बच्चा, माय स्वीटू, मेरा भोलू, क्या तुम मुझसे शादी करोगे?
बोल मेरा बच्चा..
लड़का हैरान होकर –अरे प्रपोज कर रही है, या गोद ले रही है..

 

> डॉक्टर - कैसे हो? शराब पीना बंद किया या नहीं?
मरीज - जी डॉक्टर साहब, बिल्कुल छोड़ दिया है. बस कोई ज्यादा रिक्वेस्ट करता है तो पी लेता हूं.
डॉक्टर - बहुत बढ़िया... और यह तुम्हारे साथ कौन भाई साहब हैं?
मरीज - जी इनको रिक्वेस्ट करने के लिए रखा हुआ है.

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> भाई कितनी भी पढ़ाई कर लो, डिग्री-विग्री ले लो...
लेकिन रेस्टोरेंट के दरवाजे पर Push और Pull देखते ही
2-3 सेकंड के लिए सोचना जरूर पड़ता है कि
दरवाजा धकेलना है कि खींचना.

 

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> डॉक्टर मरीज से- अगर तुम मेरी दवा से ठीक हो गए तो मुझे क्या इनाम दोगे?
मरीज- साहब मैं तो बहुत गरीब आदमी हूं कब्र खोदता हूं.
आपकी फ्री में खोद दूंगा.

 

> पति और पत्नी एक कुएं के पास गए,
जहां सिक्का डालने से मन की मुराद पूरी हो जाती थी.
पहले पति ने सिक्का डाला, फिर पत्नी
जैसे ही सिक्का डालने गई तो 
पैर फिसल गया और वो कुएं में गिर गई.
पति की आंखों में आंसू आ गए,
ऊपर देखते हुए बोला - हे भगवान, 
इतनी जल्दी सुन ली.

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> घर जमाई- आज से मैं रोटी नहीं चावल खाऊंगा.
सास- ऐसा क्यों?
घर जमाई- मोहल्ले वालों के ताने सुनकर थक गया हूं. रोज कहते हैं कि मैं ससुराल वालों की रोटी तोड़ता हूं. 
इसीलिए आज से मैं चावल खाऊंगा.

 

> टीचर - चल बता...4 और 4 कितने होते हैं?
भोलू - 10 होते हैं.
टीचर - 8 होते हैं... नालायक
भोलू - हम दिलदार घर से हैं....2 मैंने अपने खुद के भी डाले हैं.

 

(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं है.)

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