राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले गिरधर सिंह नाम के एक युवक के संघर्ष की कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है, जो थोड़ी सी मुश्किल आने पर हिम्मत हार जाते हैं. गिरधर ने आर्थिक तंगी के बावजूद अपने पढ़ने के जज्बे को जिंदा रखा. 21 बार प्रतियोगी परीक्षाओं में विफल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने लगातार अपनी तैयारी को जारी रखा. आखिरकार 22वीं परीक्षा में उनका सपना पूरा हुआ और वह ग्राम विकास अधिकारी बन गए. गिरधर ने आजतक को बताया कि उनके परिवार के हालात इतने खराब थे कि परिवार के चार लोगों ने आत्महत्या कर ली. गिरधर बताते हैं कि एक बार तो उन्होंने भी आत्महत्या करने की सोची थी. उन्होंने सुसाइड नोट भी लिख लिया था, लेकिन ऐन वक्त पर उनके एक दोस्त ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया. तो आइए जानते हैं कि गिरधर सिंह के संघर्ष की कहानी खुद उन्हीं की जुबानी. वीडियो देखें.