उत्तरकाशी में पहाड़ के ऊपर से हो रही ड्रिलिंग, 41 मजदूरों को बचाने के लिए 8वें दिन शुरू हुआ 'महामिशन'

उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को एक सुरंग में फंसे हुए एक हफ्ता हो गया है. मजदूरों को बाहर निकालने के अब तक कई तरीके आजमाए जा चुके हैं. बड़ी-बड़ी मशीन पहले से ही पहाड़ को काट कर रास्ता तैयार कर रही हैं जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग करके सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी.

Advertisement
उत्तरकाशी में आठवें दिन भी जारी है बचाव और राहत का काम उत्तरकाशी में आठवें दिन भी जारी है बचाव और राहत का काम

आशुतोष मिश्रा / पॉलोमी साहा

  • ,
  • 19 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए आठवें दिन सुरंग के ऊपर एक महा मिशन शुरू हुआ है. 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा से डांडागांव सुरंग में बचावकर्मी संकटग्रस्त लोगों को अधिक टिकाऊ भोजन की आपूर्ति लगातार कर रहे हैं. शनिवार शाम से मल्टी डाइमेंशनल अप्रोच के जरिए यहां बड़ी संख्या में वर्कफोर्स को तैनात किया गया है. सीमा सड़क संगठन (BRO) की ओर से सैंकड़ों की संख्या में मजदूर पहाड़ पर भेजे जा रहे हैं.

Advertisement

होगी वर्टिकल ड्रिलिंग

बड़ी-बड़ी मशीन पहले से ही पहाड़ को काट कर रास्ता तैयार कर रही हैं जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग करके सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी. सुरंग के मुहाने पर सेफ्टी ब्लॉक लगाकर काम कर रहे मजदूरों के लिए इमरजेंसी एस्केप रूट भी बनाया जा रहा है. बीती रात बड़ी संख्या में सीमा सड़क संगठन और दूसरी एजेंसियों की ओर से लॉजिस्टिक सपोर्ट पहुंचाया जा रहा है.

पांच विकल्पों पर किया जा रहा विचार

प्रधानमंत्री कार्यालय के विशेष अधिकारी‌ के साथ साथ उत्तराखंड सरकार में ओएसडी भास्कर खुल्बे ने उत्तरकाशी में डेरा डाला है जो लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं. यहां आरओ की‌ टीम हर‌‌ लाजिस्टिक्स पहुंचा रही है. वहीं  सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विभिन्न एजेंसी को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गईं. बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया.

Advertisement

सुरंग हादसे पर PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया, '..पूरे क्षेत्र की ताकत को इस स्तर तक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है कि हम जहां बचाव कार्य कर रहे हैं, वहां तक श्रमिकों के लिए पहुंचना पूरी तरह से सुरक्षित रहे...'

तमाम एजेंसियों को मिली है जिम्मेदारी

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को एक-एक जिम्मेदारी दी गई है.बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है. सूत्रों ने बताया कि एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसी के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है.

मलबे के बीच एक पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह श्रमिकों को बचाने का सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था. सूत्रों ने कहा कि यूके जल निगम के पास उपलब्ध ऑगर (ड्रिलिंग) मशीन की मदद से पाइप बिछाने के शुरुआती प्रयास के बाद अमेरिका निर्मित एक बड़ी ऑगर मशीन लाने का निर्णय लिया गया, जिसे भारतीय वायुसेना ने दिल्ली से हवाई मार्ग से पहुंचाया. सूत्रों ने कहा कि लोगों का जीवन खतरे में होने के मद्देनजर सभी संभावित मोर्चों पर एक साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया ताकि श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाया जा सके.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement