उत्तराखंड में बारिश ने जमकर तबाही मचाई. यहां बारिश और लैंडस्लाइड से जुड़ी घटनाओं में 52 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, राज्य के कई हिस्से ऐसे हैं, जिनमें सड़कें तक नहीं बचीं. वहीं लोगों को खाने के लिए भी परेशानी उठानी पड़ रही है. लगातार हो रही बारिश के चलते जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. ऐसे में बाढ़ की मार झेल रहे लोगों ने अपनी आपबीतियां आजतक के साथ शेयक कीं.
आजतक से बातचीत में बाढ़ के चश्मदीद एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि करीब शाम 6 बजे हमने देखा कि पानी का स्तर बढ़ रहा है. हम दुकानदारों को यह बताने के लिए निकले. लेकिन जब तक हम पहुंच पाते मार्केट में पानी भर गया था. रामपुर के रहने वाले राजू ने कहा, मैं रामपुर में पैदा हुआ. यहीं पला बढ़ा. लेकिन मैंने ऐसी बाढ़ कभी नहीं देखी. हमें आशा है कि 3-4 दिन में पानी कम हो जाएगा.
ट्रैक्टर से यात्रा करने को मजबूर लोग
30 साल की सविता के लिए यात्रा करना अब एक बुरे सपने जैसा है. सड़कों पर पानी भर जाने की वजह से उन्हें अब ट्रैक्टरों पर चढ़कर 100 रुपए में यात्रा करनी पड़ रही है. उन्होंने आजतक से बातचीत में बताया कि कोई एक तरफ से दूसरी तरफ नहीं जा पा रहा है. डूबने का खतरा बना हुआ है. मेरा घर दूसरी तरफ है. इसलिए ट्रैक्टर से यात्रा करने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
नैनीताल के रामगढ़ में बादल फटने से लोगों को काफी नुकसान पहुंचा है. यहां मौजूद एक स्थानीय नागरिक ने कहा, मुझे 40-50 लाख का नुकसान हुआ है. मेरे घर का एक हिस्सा पूरी तरह से गिर गया. इसके अलावा मैंने मछली पालन के लिए जो टैंक बनाया था, वो भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया.
मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा
उत्तराखंड में पड़ाहों से पानी घटने लगा है. ऐसे में मैदानों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में कई इलाकों में लोगों को अब या तो पैदल यात्रा करनी पड़ रही है. या अपनी बाइक को ट्रेक्टर पर रखकर सड़कों को पार करना पड़ रहा है.
एनडीआरएफ ने राज्य में 1300 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू किया है. एनडीआरएफ द्वारा शेयर की गई वीडियो में कीचड़ और मलबे से ढकी सड़कें नजर आ रही हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ट्रेकर्स समेत कई लोग अभी भी लापता है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हर जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए 10-10 करोड़ रुपए जारी किए है. इतना ही नहीं उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है.
उत्तराखंड में मरने वालों की संख्या 52 पर पहुंच गई है. वहीं 5 लोग अभी भी लापता हैं. 17 लोग जख्मी हैं. यहां रविवार रात से लगातार हो रही बारिश के चलते बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. नैनीताल समेत अन्य शहरों में कई सड़कें और ब्रिज बह गए हैं. इसके अलावा राज्य में लैंडस्लाइड की भी घटनाएं सामने आई हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, राज्य में ज्यादातर मौतें घरों के क्षतिग्रस्त होने से हुई हैं. अकेले नैनीताल में 28 लोगों की मौत हुई. लापता लोगों में उत्तरकाशी से हिमाचल प्रदेश के लिए निकली 11 सदस्यीय ट्रेकिंग टीम को शामिल नहीं किया गया है.
एनडीआरएफ की 17 टीमें तैनात
एनडीआरएफ ने बताया कि उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों से सैकड़ों लोगों को रेस्क्यू किया गया है. राज्य में 17 टीमें तैनात की गई हैं. उधम सिंह नगर और नैनीताल से 1300 लोगों को रेस्क्यू किया गया.
नैनीताल में पटरी पर लौटने लगी जिंदगी
उधर, नैनीताल में बुधवार को जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर पटरियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं. इन्हें ठीक होने में करीब चार से पांच दिन लगेंगे. नैनीताल में पर्यटकों बुधवार को सड़कों पर नजर आए. उत्तर प्रदेश से आए एक युवा पर्यटक ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के चलते होटल में बंद रहते रहते दम घुटने लगा था. नैनीताल में पानी की सप्लाई शुरू हो गई है. शहरी क्षेत्र में बिजली और टेलिफोन की व्यवस्था भी ठीक हो गई है. लेकिन गांवों में अभी भी प्रभावित है.
हिमाचल-उत्तराखंड बॉर्डर पर 17 ट्रेकर्स लापता
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में 17 ट्रेकर्स लापता हो गए. अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेकर्स 14 अक्टूबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी से सटे हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के चितकुल के लिए रवाना हुए थे, लेकिन 17 से 19 अक्टूबर तक खराब मौसम के चलते लमखागा पास में वे लापता हो गए. लमखागा पास सबसे कठिन दर्रे में से एक है जो किन्नौर जिले को उत्तराखंड के हर्षिल से जोड़ता है. इन ट्रेकर्स को सर्च करने के लिए आईटीबीपी और स्थानीय पुलिस ऑपरेशन चला रही है.
ऐश्वर्या पालीवाल