उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हारने के बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने हैं. ऐसे में धामी को छह महीने के अंदर विधायक बनना होगा नहीं तो सीएम की कुर्सी गवांनी पड़ सकती है. पुष्कर धामी किस सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए उतरेंगे, यही सबसे बड़ा सवाल है. उनके विधायक बनने के लिए कांग्रेस या बीजेपी का कौन विधायक अपनी सीट छोड़ेगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सोमवार शाम दो दिन के दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं. इस दौरान पार्टी हाईकमान सहित कई नेताओं से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि वे किसी सीट से चुनाव लड़ेंगे इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा कर सकते हैं. हालांकि, चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी सीएम धामी के लिए सीट खाली करने का भी ऐलान कर चुके हैं.
बता दें कि उत्तराखंड राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के लिए बीजेपी अपने नहीं बल्कि विपक्ष के किसी विधायक की सीट खाली करा सकती है. सूबे में 2007 और 2012 में बने मुख्यमंत्री के लिए विपक्षी दल के नेताओं की सीट खाली कराई थी. ऐसे ही यूपी में भी बीजेपी ने राजनाथ सिंह के लिए कांग्रेस के विधायक की सीट रिक्त की थी. यही वजह है कि धामी के लिए बीजेपी किसी विपक्षी विधायक की सीट खाली कराने का दांव खेल सकती है.
खंडूरी के लिए कांग्रेस विधायक ने सीट छोड़ी थी
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पौड़ी गढ़वाल से सांसद भुवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व में लड़ा था. सत्ता मिलने के बाद मुख्यमंत्री का ताज खंडूरी के सिर सजा था, लेकिन उन्हें विधायक बनना था. ऐसे में खंडूरी के लिए धुमाकोट सीट से कांग्रेस विधायक टीपीएस रावत ने इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस तरह खंडूरी के विधायक बनने का रास्ता साफ हुआ था और टीपीएस रावत ने खंडूरी की पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर सांसद बने थे.
बहुगुणा के लिए बीजेपी विधायक ने छोड़ी सीट
पांच साल के बाद 2012 के विधानसभा में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो मुख्यमंत्री का ताज सांसद विजय बहुगुणा के सिर सजा था. ऐसे में कांग्रेस ने भी बीजेपी को उसी अंदाज में जवाब दिया था, जिसमें उनके विधायक से इस्तीफा दिलाकर सीट खाली कराई गई थी. बहुगुणा के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी में सेंधमारी कर ऊधमसिंह नगर जिले की सितारगंज सीट के विधायक किरण मंडल का इस्तीफा कराया था. इस तरह बहुगुणा ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने.
तिवारी, रावत भी मुख्यमंत्री बनने के बाद विधायक
साल 2002 में उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. कांग्रेस ने किसी भी अपने नेता के सीएम का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री का ताज नारायण दत्त तिवारी के सिर सजा था. ऐसे में तिवारी के विधायक बनने के लिए कांग्रेस के विधायक योगंबर सिंह रावत ने सीट खाली की थी, जिसके बाद वो विधायक चुने गए थे. इसी तरह वर्ष 2014 में जब विजय बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस ने हरीश रावत मुख्यमंत्री बनाया तो केंद्र में मंत्री थे. ऐसे में हरीश रावत के लिए धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने अपनी सीट छोड़ दी थी, जहां से जीतकर हरीश रावत विधायक बने थे.
सियासत ने फिर से वहीं लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से पुष्कर सिंह धामी सत्ता तो बचाने में सफल रहे, लेकिन सीट नहीं बचा सके. ऐसे में अब उनके सिर मुख्यमंत्री का ताज सजा है तो विधायक भी उन्हें बनना होगा. देखना है कि अब वो अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए किसकी सीट खाली कराते हैं.
कुबूल अहमद