उत्तराखंड : 60 परिवारों वाले 'खूनी गांव' का अब बदला नाम, 'देवीग्राम' से मिली नई पहचान

उत्तराखंड के टिहरी जिले का बदनाम 'खूनी गांव' अब नई पहचान के साथ जाना जाएगा. 60 परिवारों वाले इस गांव का नाम बदलकर ‘देवीग्राम’ रखा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि ‘खूनी’ नाम के कारण उन्हें पढ़ाई, नौकरी और बाहरी लोगों से बातचीत के दौरान शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी. नाम बदलने की कहानी भी दिलचस्प है.

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खूनी गांव की काली छवि हुई खत्म.  (Photo: AI-generated) खूनी गांव की काली छवि हुई खत्म. (Photo: AI-generated)

अंकित शर्मा

  • पिथौरागढ़,
  • 20 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:46 AM IST

उत्तराखंड सरकार ने लंबे समय से चली आ रही ग्रामीणों की मांग को पूरा करते हुए पिथौरागढ़ जिले के कुख्यात नाम से पहचाने जाने वाले 'खूनी गांव' का नाम बदलकर अब 'देवीग्राम' कर दिया है. सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया कि यह निर्णय जनभावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है और इसे केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिल चुकी है. साथ ही अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया कि नाम परिवर्तन का पहले से लंबित किसी भी कानूनी प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से सांसद अजय टम्टा ने इस बदलाव की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की. उन्होंने कहा कि ग्रामीण लंबे समय से इस नाम परिवर्तन की मांग कर रहे थे और आखिरकार राज्य सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया. ग्राम प्रधान इंदिरा जोशी ने बताया कि दशकों से चली आ रही मांग पूरी होने पर पूरे गांव में उत्साह और खुशी का माहौल है.

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पिथौरागढ़ से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित इस छोटे से गांव में लगभग 60 परिवार रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ‘खूनी’ नाम के कारण उन्हें पढ़ाई, नौकरी और बाहरी लोगों से बातचीत के दौरान शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी. नाम बदलने की पृष्ठभूमि भी दिलचस्प है. कहा जाता है कि अंग्रेजी शासन के दौरान यहां ग्रामीणों और अंग्रेजों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें अंग्रेज मारे गए थे.

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इसके बाद गांव को ‘खूनी’ कहा जाने लगा. वहीं, एक अन्य मान्यता है कि पहले इस गांव का नाम ‘खोली’ था, लेकिन अंग्रेज उच्चारण में गलती से इसे ‘खूनी’ बोलते थे और समय के साथ यही नाम प्रचलित हो गया. अब ‘देवीग्राम’ नाम मिलने के बाद ग्रामीण अपनी नई पहचान को लेकर गर्व और सुकून महसूस कर रहे हैं. यह बदलाव न केवल उनकी आत्मसम्मान की लड़ाई की जीत है, बल्कि गांव की सकारात्मक पहचान को भी मजबूत करेगा.

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