शामली में RLD की महापंचायत को परमिशन नहीं, प्रशासन ने 26 जनवरी की हिंसा का दिया हवाला

शामली जिला प्रशासन ने 26 जनवरी को हुई दिल्ली हिंसा का हवाला देते हुए शुक्रवार को भैंसवाल गांव में होने वाली पश्चिम यूपी की पांचवीं महापंचायत को अनुमति देने से इनकार कर दिया.

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मथुरा की महापंचायत में आरएलडी नेता जयंत चौधरी (फाइल फोटो) मथुरा की महापंचायत में आरएलडी नेता जयंत चौधरी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • शामली,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST
  • भैंसवाल गांव में आज होने वाली है महापंचायत
  • शामली जिला प्रशासन ने अनुमति देने से किया इनकार

उत्तर प्रदेश की शामली जिला प्रशासन ने 26 जनवरी को हुई दिल्ली हिंसा का हवाला देते हुए शुक्रवार को भैंसवाल गांव में होने वाली पश्चिम यूपी की पांचवीं महापंचायत को अनुमति देने से इनकार कर दिया. इस महापंचायत का आयोजन राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की ओर से किया जाना है. परिमशन न मिलने के बाद भी आरएलडी नेता महापंचायत करने की जिद पर अड़े हैं.

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शामली की डीएम जसजीत कौर ने 4 फरवरी से 3 अप्रैल तक जिले में धारा-144 लागू कर दी है. प्रशासन के इनकार के बाद भी आरएलडी की ओर से महापंचायत कराने की तैयारी है. प्रदेश प्रवक्ता सुनील रोहता ने कहा कि पुलिस चाहे तो हम पर लाठीचार्ज या जेल में डालने की कार्रवाई कर ले, लेकिन यह कार्यक्रम होकर रहेगा.

इस बाबत शामली के एसडीएम संदीप कुमार ने आरएलडी नेताओं को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें कहा गया, 'हमने स्थानीय पुलिस स्टेशन, खुफिया इकाई और स्थानीय अग्निशमन विभाग से रिपोर्ट मांगी थी, और इन सभी ने सुझाव दिया है कि इस तरह की महापंचायत जिले की शांति के लिए खतरा बन जाएगा, जिसने हमें अनुमति न देने के लिए मजबूर कर दिया है.'

इस चिट्ठी के मिलने के बाद आरएलडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मीटिंग की थी, जिसमें फैसला लिया गया कि शामली में महापंचात होगा. आरएलडी नेताओं ने कहा कि दूरदराज से किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली और अपने वाहनों से पंचायत में शिरकत कर महापंचायत को सफल बनाएंगे. हम अपनी महापंचायत को शांतिपूर्वक सफल बनाएंगे.

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आपको बता दें कि 28 जनवरी को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जगह-जगह महापंचायत हो रही है. इसी कड़ी में आरएलडी भी पश्चिमी यूपी के कई जिलों में महापंचायत करके तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बना रही है. 

 

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