उन्नाव रेप कांड: आखिर क्यों जज ने सीबीआई को लगाई फटकार, जानिए वो वजह?

उन्नाव गैंगरेप केस की तीस हजारी कोर्ट ने सोमवार को विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया. इस दौरान तीस हजारी कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई को भी फटकार लगाई.

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उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर दोषी, सीबीआई को फटकार (Photo- PTI) उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर दोषी, सीबीआई को फटकार (Photo- PTI)

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

  • उन्नाव रेप केस में सेंगर दोषी करार, सीबीआई को लगी फटकार
  • कोर्ट ने कहा- पीड़िता का पक्ष कमजोर करने की कोशिश की गई

उन्नाव रेप केस में सोमवार को आरोपी एमएलए कुलदीप सिंह सिंगर को यूं तो तीस हजारी कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के आरोप में दोषी ठहरा दिया लेकिन सीबीआई की जांच को भी इस मामले में कटघरे में खड़ा करते हुए कोर्ट ने फटकार लगाई. जानिए क्या है वो बड़ी वजह, जिनके कारण जज धर्मेश शर्मा ने सीबीआई को फटकार लगाई?

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दरअसल, कोर्ट ने जांच एजेंसी को फटकार इसलिए लगाई, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि उन्नाव केस में पीड़िता का ही पक्ष कमजोर करने की कोशिश जांच एजेंसी की तरफ से की गई.

चार्चशीट एक साल बाद कोर्ट में दाखिल

सबसे पहले तो इस मामले में सीबीआई ने चार्जशीट ही तकरीबन एक साल के लंबे फासले के बाद कोर्ट में दाखिल की , जिसका फायदा आरोपी को मिला. सीबीआई की तरफ से चार्जशीट इसी साल अक्टूबर में कोर्ट में दाखिल की गई थी, जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस से सीबीआई को यह मामला अप्रैल 2018 में ही ट्रांसफर हो गया था.

लड़की के बयान को लीक करने का मामला

कोर्ट का मानना था कि इस मामले में पीड़िता की तरफ से दिए गए बयान को जानबूझकर सीबीआई की तरफ से लीक किया गया. सीबीआई की तरफ से जो महत्वपूर्ण जानकारी लीक की गई, उस पर कोर्ट का कहना है कि सीबीआई ने भी लड़की के मामले को कमजोर करने के लिए गवाह के बयान और CDR लीक किए.

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कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने अपनी जांच पितृ सत्तात्मकता सोच का शिकार होकर की. कोर्ट का मानना था कि इस मामले में सीबीआई की जांच पुरुष प्रधान समाज की सोच के नजरिया से की गई.

सीबीआई ने सेंगर के फोन की जांच नहीं की

तीसरा इस मामले में सीबीआई ने कुलदीप सिंह सेंगर के फोन की जांच नहीं की. सीबीआई ने जिस नंबर की जांच की वो नंबर सेंगर इस्तेमाल नहीं कर रहा था, बल्कि सेंगर का पीए करता था. दरअसल, कोर्ट का इशारा इस तरफ था कि जांच एजेंसी अप्रत्यक्ष रूप से सेंगर का ही पक्ष मजबूत कर रही थी.

सीबीआई का रवैया पीड़ितों को परेशान करने वाला

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में सीबीआई द्वारा की गई जांच पर यह कहकर भी सवाल उठाए कि यह पीड़िता और उसके परिवार वालों को ही परेशान करने वाली थी और पांचवां और अहम कारण जिसकी वजह से सीबीआई को इस मामले में फटकार पड़ी, वह था पॉस्को एक्ट की गाइडलाइंस का पालन न करना. पॉस्को एक्ट में और बच्चों से जुड़े अपराध में महिला ऑफिसर से ही जांच कराने का नियम है, लेकिन इस मामले में सीबीआई का रवैया ही पीड़िता को परेशान करने वाला रहा.

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