कोरोना की दूसरी लहर में सीएम योगी भी संक्रमित हो गए थे. लेकिन अप्रैल के अंत में संक्रमण से मुक्त होने के साथ ही उन्होंने बहुत ही आक्रामक तरीके से कोरोना के खिलाफ काम किया. हर दिन विभिन्न जिलों के कोविड सेंटरों का दौरा किया. कोरोना पीड़ितों से संवाद किया. जिसके चलते उनके खिलाफ पैदा हो रही नाराजगी अब गायब होती नजर आ रही है. वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी पार्टियां सपा, बसपा और कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया पर ही विरोध करती नजर आ रही हैं.
कोरोना से जंग के अलावा चुनाव नजदीक आता देख यूपी की योगी सरकार ने तमाम ऐसे काम किए हैं जिससे वो जब जनता के बीच जाएं तो पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना रिपोर्ट कार्ड पेश कर सकें.
कोरोना की लड़ाई में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 14 अप्रैल को सीएम योगी की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद सीएम ने खुद को अपने सरकारी आवास में आइसोलेट कर लिया था. इस दौरान भी वे लगातार वर्चुअली मॉनिटरिंग करते रहे. 30 अप्रैल को जब उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्होंने बाहर निकलने का फैसला लिया और ताबड़तोड़ कोविड केयर सेंटर्स के दौरे किए.
योगी ने अपने दौरे सिर्फ राजधानी तक ही समिति नहीं रखे बल्कि मई में वो मुरादाबाद, बरेली, लखीमपुर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, गोंडा, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर जैसे तमाम जिलों का दौरा किया. सीएम योगी के दौरों का असर भी साफ दिखा, वो अपने दौरों में कमांड सेंटर गए और समीक्षा बैठकें की, जिसके बाद कोरोना मरीजों को बेहतर इलाज मिला और यूपी ने दूसरी लहर पर ब्रेक लगाने में कामयाबी हासिल की.
तीसरी लहर को रोकने के लिए तेज करवाया वैक्सीनेशन
दूसरी लहर से निपटने के बाद योगी अब तीसरी लहर को रोकने के प्रयासों में लग चुके हैं. इसके लिए सबसे जरूरी था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हो जाए. इसी वजह से यूपी में शहरी इलाकों के साथ ही साथ ग्रामीण इलाकों में भी वैक्सीनेशन ड्राइव चलाई गई, वैक्सीन को लेकर भ्रांतियां दूर हों इसलिए जागरूकता अभियान प्लान किए गए. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश वैक्सीनेशन में अब देश में पहले स्थान पर पहुंच चुका है. उत्तर प्रदेश में अब तक 3,58,35,932 वैक्सीनेशन हुए हैं. बता दें कि सीएम योगी कोरोना वैक्सीनेशन की प्रतिदिन मॉनिटरिंग भी करते हैं.
महिला डॉक्टर के इलाज के लिए सरकार ने दी डेढ़ करोड़ की मदद
लखनऊ के लोहिया इंस्टिट्यूट की डॉक्टर शारदा सुमन को कोविड ड्यूटी के दौरान कोरोना हो गया था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़े खराब हो गए थे. कोरोना की वजह से उनकी प्री-मेच्योर डिलीवरी भी करानी पड़ी थी. यह जानकारी सामने आने के बाद योगी सरकार ने उस डॉक्टर के इलाज के लिए 1.5 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की है. बताया जा रहा है कि उन्हें लंग ट्रांसप्लांट के लिए जल्द ही चेन्नई लेकर जाया जा सकता है.
पंचायत चुनाव में दमदार जीत से बीजेपी के हौसले बुलंद
यूपी के पंचायत चुनावों को बीजेपी ने अगले साल विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बड़ी ही गंभीरता के साथ लिया. पार्टी ने इस बार पहले ही कह दिया था कि बीजेपी इस बार पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ लड़ेगी. यही वजह है कि बीजेपी ने पंचायत चुनावों में अपनी जीत का परचम लहरा रखा है.
हाल ही में हुए जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में 75 में से 67 जिलों में बीजेपी ने अपना परचम लहराया है. इन 67 सीटों में से 21 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके थे. बाकी 46 सीटों पर चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगी दल अपना दल के उम्मीदवारों ने अपना कब्जा जमाया.
इससे पहले यूपी के 75 जिलों की जिला पंचायत सदस्यों के 3047 सीटों में बीजेपी को 768, सपा को 759, बसपा को 319, कांग्रेस को 125, रालोद को 69, आप को 64 और निर्दलीयों को 944 सीटें मिली थीं.
बेरोजगारों को नौकरी देने के लिए उठाया ये कदम
हाल ही में योगी सरकार ने 74 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने बोर्ड और आयोग के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि अभ्यर्थियों का सेंटर ज्यादा दूर न रखा जाए. सीएम का मानना है कि ऐसा करने से अभ्यर्थियों के पैसे तो बचेंगे ही साथ ही साथ कोरोना संक्रमण से भी उनका बचाव होगा.
अयोध्या, वाराणसी और गोरखपुर के विकास पर रखी खास नजर
सीएम योगी आदित्यनाथ ने राम की नगरी अयोध्या की पुरानी रौनक वापस लाने की बात कई बार कही थी. यही वजह है कि वो लगातार वहां हो रहे विकास कार्यों का जायजा लेते रहते हैं. इसके अलावा वाराणसी और अपने गृह जनपद गोरखपुर की भी तस्वीर चमकाने का खाका तैयार कर चुके हैं.
पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत पर मचा बवाल तो लिया ये फैसला
यूपी के पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों की मौत पर काफी बवाल मचा था. हाल ही में इन मौतों पर सीएम योगी ने बड़ा फैसला लिया है. कोरोना के लिए बनी टीम-9 की बैठक में ये फैसला लिया गया कि जिन लोगों की चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई या ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने से मौत हुई, उनके परिवार को मुआवजा दिया जाएगा. परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी.
गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का बनाया रिकॉर्ड
यूपी के गन्ना किसानों को किए जाने वाले भुगतान में योगी सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है. 4 साल में किसानों को 1.40 हजार करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान किया गया है. आंकड़े के मुताबिक 2007 से 2017 तक जितना भुगतान हुआ, उतना योगी सरकार ने सिर्फ 4 साल में कर दिखाया है.
यही नहीं सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में भी चीनी मिलें नहीं बंद हुईं. चार साल में किसानों को अपना गन्ना जलाने की नौबत कभी नहीं आई. चीनी एक्सपोर्ट बंद होने के बाद भी गन्ने का भुगतान होता रहा.
शिक्षामित्रों की भी नाराजगी दूर करने की हो रही कोशिश
यूपी के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की तैनाती भी काफी बड़ी संख्या में है. शिक्षामित्रों की नाराजगी सरकार दर सरकार चली आती रही है. योगी सरकार ने उनको थोड़ी राहत देने की कोशिश की है. शिक्षामित्र अब अपनी 11 महीने की संविदा अवधि में मिलने वाला 11 आकस्मिक अवकाश (सीएल) कभी भी ले सकेंगे. अभी तक उन्हें हर महीने केवल एक सीएल लेने की अनुमति है. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने मौजूदा शासनादेश में बदलाव के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया है.
फिलहाल यह व्यवस्था है कि एक महीने में अधिकतम एक दिन की गैरहाजिरी पर सैलरी नहीं कटती है लेकिन अगर एक महीने में एक दिन से ज्यादा अनुपस्थिति होती है तो आनुपातिक रूप से मानदेय में कटौती की जाती है.
विरोधी सिर्फ ट्विटर पर आते हैं नजर
वहीं दूसरी ओर अगर विपक्ष की बात करें तो कोरोना, बेरोजगारी, अपराध और महंगाई के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करने वाले विपक्षी दल सड़कों पर कम और सोशल मीडिया पर ज्यादा नजर आते हैं. सरकार के विरोध के नाम पर खबरों की कटिंग, वीडियो और तस्वीरें लगाकर ट्वीट कर देने के अलावा नेताओं की एक्टिविटी कुछ खास नजर नहीं आती है. चुनाव नजदीक आने के बाद भी योगी सरकार के खिलाफ मुखर होने के बजाए विपक्ष की रस्म अदायगी बीजेपी को और मजबूत ही करती है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या बसपा सुप्रीमो मायावती या फिर कांग्रेस को यूपी में फिर से खड़ा करने की जिम्मेदारी उठा रहीं प्रियंका गांधी, पिछले दिनों सड़कों पर कोई भी बड़ा नेता नजर नहीं आया. कांग्रेस और सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन जरूर किए लेकिन वह चर्चा में आने के काबिल नहीं रहे. हाल ही में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी काफी एक्टिव हुए लेकिन वो भी सिर्फ बयानबाजियों तक ही सीमित नजर आते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता बोले- सरकार ने विपक्ष के दबाव में किया काम
सीएम योगी की कार्यशैली पर जब कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत से बात की गई तो उन्होंने कहा, "देखिए योगी जी मुख्यमंत्री हैं और योगी जी का काम योगी जी ही करेंगे, उसे दूसरा कोई नहीं करेगा. योगी जी क्या चाह रहे थे कि विपक्ष कोरोना काल में सड़क पर उतरे और वह बैठे रहें? वह सत्ता में हैं तो, उनको सड़क पर तो उतरना ही चाहिए. विपक्ष अपना काम कर रहा है, विपक्ष सड़क पर भी डटा हुआ है.
शिक्षकों की मौत और मुआवजे पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि योगी सरकार ने विपक्ष के दबाव में शिक्षकों की बातों को सुना है. सत्ता पक्ष ने विपक्ष के दबाव में आकर मौतों के आंकड़ों को स्वीकार किया है. नहीं तो पहले यह तीन से चार मौतें बता रहे थे. जब विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया तभी जाकर शिक्षकों को न्याय मिल पाया. हम सिर्फ ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर ही नहीं सक्रिय हैं हम मुद्दों को जमीन पर उठाते रहते हैं.
शिक्षामित्रों के मानदेय पर उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने शिक्षामित्रों के साथ पिछले 4 सालों में छल, कपट और जो प्रपंच किया है उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए वह कम है. आने वाले चुनाव को देखते हुए और उसके परिणाम के भय से उन्होंने शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाने की सोची है.
महिला चिकित्सक के फेफड़ों के ट्रांसप्लांट को लेकर सुरेंद्र राजपूत ने कहा, "देखिए अगर महिला चिकित्सक के फेफड़ों को योगी जी बदलवा रहे हैं, तो वह अपने घर से पैसा नहीं दे रहे हैं. मुख्यमंत्री का दायित्व और कर्तव्य है अपनी जनता की रक्षा करना."
अनुराग भदौरिया बोले- सीएम तब निकले जब यूपी बर्बाद हो चुका था
इसी मुद्दे पर जब हमने समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया से बात की तो उन्होंने कहा, "जिस तरीके से कोरोना काल में यूपी की जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी ये सभी लोगों ने देखा. मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा था, वेंटिलेटर की समस्या से वह जूझ रहे थे और समय से एंबुलेंस ना मिलने के कारण लोगों की तड़प कर मौत हो गई. सरकार पूरी तरीके से फेल दिखाई पड़ी. सरकार इस दौरान कहीं भी सड़कों पर नहीं दिखाई पड़ी. वहीं समाजवादी पार्टी लगातार गांव और शहरों में मदद के लिए दौड़ती रही और लोगों की मदद की. जिन लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिला था, उनको हम लोगों ने ऑक्सीजन दिलवाया और भर्ती करवाया. मैं खुद इस बात का गवाह हूं. मैंने कई लोगों की मदद की है."
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री जी कोविड के दौरान कहीं नहीं दिखाई पड़े लेकिन जब दिल्ली और यूपी की भाजपा में तनातनी दिखाई पड़ी तो मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर सिर्फ हवा में ही दिखाई पड़ा और हवाई बातें उन्होंने कीं. मुख्यमंत्री के जाने से पहले गांव में और अन्य जगहों पर सब कुछ सही कर दिया जाता था और बाद में फिर वहीं चीजें हो जाती थीं. झूठे लोगों को खड़ा कर दिया जाता था और इंटरव्यू दिलवाया जाता था कि सब कुछ ठीक है. लेकिन वास्तविकता में कुछ भी ठीक नहीं था. कटवाड़ा के एक गांव में एक मरीज से पूछा गया, तुम्हारा इलाज चल रहा है तो उसने दवाब में बोला चल रहा है, बाद में पता चला कि वह 70 हजार रुपये देकर खुद अपना इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवाया था. यह सब सिर्फ मार्केटिंग इवेंट कर रहे हैं. मुख्यमंत्री तब निकले जब उत्तर प्रदेश पूरी तरीके से बर्बाद हो चुका था.
शिक्षक की मौत और मुआवजे पर सपा प्रवक्ता ने कहा कि जिला पंचायत का चुनाव चल रहा था तब उस दौरान शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी और उनकी कोरोना से मौतें हुईं. इन लोगों ने तो उनकी मौतों का आंकड़ा छुपाया. शुरुआत में बीजेपी वाले बोले कि सिर्फ तीन मौतें हुई हैं. बाद में जब समाजवादियों ने इस मामले को उठाया तब जाकर पूरा खुलासा हुआ और शिक्षक संघ ने 16 सौ से 17 सौ के आंकड़े दिए. यह सरकार के लिए शर्म की बात है कि उसने मरे हुए लोगों के आंकड़े छुपाए जब शिक्षक संघ ने आंकड़े दिए तब जाकर सरकार जागी.
शिक्षामित्रों के मानदेय पर भदौरिया ने कहा कि जहां तक शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने की बात है तो सरकार को यह 4 साल पहले ही कर देना चाहिए था. महिला डॉक्टर के फेफड़ों के ट्रांसप्लांट पर उन्होंने कहा कि जहां तक डॉक्टर कि फेफड़ों कि बदलने की बात है तो अगर समाजवादी लोगों ने मुद्दों को ना उठाते और मीडिया के सामने न लाते, तो बीजेपी वाले यह कहते कि किसी का फेफड़ा खराब हुआ ही नहीं और ना ही किसी की मौत हुई. उदाहरण आप देख ही चुके हैं कि इन लोगों ने कैसे शिक्षकों की मौत का आंकड़ा छुपाया.
क्लिक करें- सोशल इंजीनियरिंगः पंचायत चुनाव का ये फॉर्मूला यूपी विधानसभा चुनाव में करा देगा बीजेपी का बेड़ा पार?
बीजेपी प्रवक्ता ने सराहा योगी का काम, बोले- हम सिर्फ बातें नहीं करते, काम भी करते हैं
योगी सरकार के हालिया कामों पर हमने बीजेपी प्रवक्ता संजीव मिश्रा से बात की. उन्होंने कहा, "देखिए सरकार ने कोरोना काल में लॉकडाउन से लेकर सड़कों पर उतर कर जनता की मदद करने का काम किया है. सत्ता के साथ विपक्ष को भी इस महामारी में साथ खड़े रहना चाहिए था लेकिन वह नहीं खड़ी रही है, वह सिर्फ सोशल मीडिया के ट्विटर तक ही सीमित रही. मुख्यमंत्री जी कोरोना से ग्रसित भी हुए लेकिन तत्काल ठीक होने के बाद बिना देरी किए हुए वह लगातार हर जिलों में जाकर लोगों के बीच पहुंचे और उनके इलाज का प्रबंध कराया. आज सरकार फ्री में वैक्सीनेशन करवा रही है. वहीं विपक्ष के एक नेता ने कहा कि यह वैक्सीन बीजेपी वालों की है, कितनी गलत बात थी, विपक्ष के नेता ने जनता को गुमराह करने का काम किया."
शिक्षकों के मुआवजे पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, "जनता के हितों का काम योगी सरकार कर रही है और इसका जीता जागता सबूत शिक्षकों की परवाह करते हुए, उन्हें मुआवजा देना है क्योंकि हम सिर्फ बातें नहीं करते हैं, हम काम भी करते हैं.
शिक्षा मित्रों के मानदेय पर संजीव मिश्रा ने कहा कि शिक्षामित्र का मानदेय भी बढ़ाया गया है, क्योंकि हमारी सरकार जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है. महिला डॉक्टर के फेफड़ों के प्रत्यारोपण पर उन्होंने कहा, "देखिए, योगी सरकार सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का काम कर रही है और इसी में विश्वास रखती है. इसीलिए महिला डॉक्टर के बारे में जैसे ही जानकारी हुई योगी जी ने पूरा प्रयास करते हुए उन्हें आर्थिक मदद दी, ताकि उनका इलाज बेहतर ढंग से हो सके. इसी का नतीजा है कि जनता का हमें समर्थन मिल रहा है और आगे भी मिलता रहेगा."
कुमार अभिषेक / कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह / सत्यम मिश्रा