सोनभद्र में जमीन विवाद के चलते 11 आदिवासियों की हत्या के करीब 6 महीने बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने लापरवाही बरतने के दोषी 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है. सभी पुलिसकर्मियों पर विभाग ने फाइन लगाया है, जिसकी वजह से पुलिसकर्मियों को अपनी 30 दिन की सैलरी दंड के तौर पर विभाग को देने होंगे.
बीते साल जुलाई में उम्भा गांव में दो पक्षों में जमकर विवाद हुआ था. मारपीट में जहां 11 लोगों पर गोलियां दागी गई थीं, वहीं करीब 21 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. गांव के मुखिया यज्ञ दत्त और उसके समर्थकों ने विपक्षी पार्टी पर गोलीबारी कर दी थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. 90 बीघे जमीन के लिए 11 लोगों की लाशें गिरा दी गई थीं.
घोरवाल इलाके की इस जमीन पर कई दशकों से विवाद चला आ रहा था. राज्य की पुलिस विभाग ने 5 पुलिसकर्मियों को नोटिस भेज दिया है, साथ ही कहा है कि जल्द से जल्द 30 दिनों की सैलरी फाइन के तौर पर जमा कर दिए जाएं . सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक(एसपी) आशीष श्रीवास्तव ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी.
पहले भी हुई थी जमीन कब्जाने की कोशिश
गांव के मुखिया यज्ञ दत्त ने 2017 में भी जबरन जमीन हथियाने की कोशिश की थी, पुलिस इंस्पेक्टर शिव कुमार मिश्रा और उनके बाद मूल चंद चौहान ने गोंड आदिवासियों की अपील पर सुनवाई नहीं की. उन्होंने इस मामले को पूर्वाग्रह के तौर पर लिया था.
पुलिस ने नहीं सुनी आदिवासियों की शिकायत
एसपी ने कहा कि तीन कांस्टेबल कन्हैया लाल, सुधाकर यादव और प्रमोद कुमार सिंह ने न तो कानून के मुताबिक काम किया, न ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों पर ध्यान दिया. इन पुलिसकर्मियों ने स्थानीय लोगों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया. स्थानीय लोग कह रहे थे कि कुछ बड़ा हो सकता है. इसी के बाद 17 जुलाई 2018 को इतनी बड़ी घटना हुई.
एसडीएम समेत 5 पुलिसकर्मी हुए थे सस्पेंड
विवाद के एक दिन के बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. इसमें सब डिविजनल मजिस्ट्रेट पर भी गाज गिरी थी. सभी की तैनाती घोरवाल में हुई थी. घोरवाल में भड़की हिंसा के आरोप में कुल 30 लोगों को हिरासत में लिया गया था.
(PTI इनपुट के साथ)
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