ब्रेकअप पर मायावती को सपा का जवाब- हमारे कारण 0 से 10 पर आ गईं

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद सपा के मुरादाबाद से सांसद एसटी हसन ने कहा कि पहले भी हम अकेले लड़ते थे, आगे भी अकेले लड़ेंगे. अखिलेश यादव कभी फोन करके हिंदू मुस्लिम की बात नहीं करते हैं. हमारी पार्टी के पास जनाधार है. बीएसपी के पास एक भी सीट नहीं थी, अब वह 10 पर है. ये सब वे (मायावती) हमारी जुबान से क्यों कहलवाना चाहती हैं.

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अखिलेश यादव और मायावती (फाइल फोटो-ट्विटर) अखिलेश यादव और मायावती (फाइल फोटो-ट्विटर)

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2019,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद सपा के मुरादाबाद से सांसद एसटी हसन ने कहा कि पहले भी हम अकेले लड़ते थे, आगे भी अकेले लड़ेंगे. अखिलेश यादव कभी फोन करके हिंदू मुस्लिम की बात नहीं करते हैं. हमारी पार्टी के पास जनाधार है. बीएसपी के पास एक भी सीट नहीं थी, अब वह 10 पर है. ये सब वे (मायावती) हमारी जुबान से क्यों कहलवाना चाहती हैं.

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वहीं आजम खान ने कहा कि जो कुछ कहा है उन्होंने (मायावती) कहा है. हमारे तरफ से कुछ भी कहा नहीं गया है. उनकी अपनी राय है. अगर वह अकेले चुनाव लड़ना चाहती हैं तो यह उनकी राय है. जब हम साथ लड़े थे तो सबकी राय थी. सपा और बसपा उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ी थीं, लेकिन उन्हें अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली. अब बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

बहरहाल, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपना रुख साफ कर दिया है. ट्विटर पर मायावती ने लिखा कि पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी.

मायावती ने लिखा, 'बीएसपी की आल इण्डिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घंटे तक चली. इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था. फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं.वे पूरी तरह से सही नहीं हैं, जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था.'

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गठबंधन का जिक्र करते हुए मायावती ने लिखा, 'वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया.'

इसके बाद गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए मायावती ने लिखा, 'लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है. पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी.'

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