राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 'सेना स्कूल' शुरू करने जा रहा है, जिसमें सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक बच्चों को ट्रेनिंग दी जाएगी. आरएसएस का पहला सेना स्कूल बुलंदशहर में बनाया जा रहा है. संघ के द्वारा स्थापित किए जा रहे सेना स्कूल पर समाजवादी पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई है. सपा ने कहा कि ऐसे संस्थान खोलकर आरएसएस सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए मॉब लिंचिंग की ट्रेनिंग देगी.
सपा ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा समाज को तोड़ने वाली है. आजादी की लड़ाई में भी आरएसएस की भूमिका नकारात्मक रही है. अब आरएसएस ऐसे संस्थान खोलना चाहता हैं, जहां अपने राजनीतिक लाभ के लिए सामाजिक सदभाव को तोड़ना और मॉब लिंचिंग की ट्रेनिंग देगी.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के शिकारपुर में आरएसएस द्वारा स्थापित किए जा रहे 'सेना स्कूल' पर सपा ने कहा राज्य में आरएसएस द्वारा संचालित एक अलग आर्मी स्कूल की क्या आवश्यकता है? इससे संदेह पैदा होता है. अब यह आरएसएस राष्ट्रीय स्तर पर षड्यंत्र करना चाहता है. इस तरह के स्कूल खोले जाना संविधान की अवहेलना है.
बता दें कि संघ द्वारा स्थापित किए जा रहे सेना स्कूल का नाम रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर होगा. यह नाम आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया के नाम पर रखा गया है. इन स्कूलों को आरएसएस की शिक्षा शाखा विद्या भारती चलाएगी.
रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर की पहली शाखा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर में खोली जा रही है. यहां पर साल 1922 में आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया का जन्म हुआ था. लड़कों के लिए आवासीय विद्यालय का निर्माणकार्य हो रहा है.
विद्या भारती यहां पाठ्यक्रम के रूप में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को अपनाएगी. इसमें छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्र होंगे. माना जा रहा है कि अप्रैल 2020 से सेना स्कूल में कक्षाएं शुरू हो जाएंगी.
गौरतलब है कि आरएसएस शुरू से ही स्कूलों में सैन्य शिक्षा की वकालत कर रहा है. साल 1937 में नासिक के 'भोंसला मिलिट्री स्कूल' की स्थापना बीएस मुंजे ने की थी. मुंजे आरएसएस के संस्थापक केशव बलराम हेडगेवार के गुरु थे. इस स्कूल के कार्यक्रमों में आरएसएस के नेता हिस्सा लेते हैं, लेकिन संगठन इसे चलाने में सीधे तौर पर शामिल नहीं होता है. इस स्कूल का संचालन सेंट्रल हिंदू मिलिट्री एजुकेशन सोसायटी की ओर से किया जाता है.
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