यूपी के मदरसों में ड्रेस कोड का मामला तूल पकड़ने के बाद अब राज्य सरकार की ओर से इस मामले में यू-टर्न लिया गया है. अब यूपी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने इस मुद्दे पर सफाई दी है. उनका कहना है कि मदरसों में किसी भी तरह का ड्रेस कोड लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
बात दें, योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने मदरसों में पहने जाने वाले कुर्ते पैजामे की जगह जल्द ही पैंट-शर्ट को ड्रेस कोड के तौर पर लागू करने की बात कही थी.
ड्रेस कोड को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं: लक्ष्मी नारायण चौधरी
मोहसिन रजा के ड्रेस कोड वाले बयान पर लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा, 'जब ड्रेस कोड को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं तो इस पर बजट का भी कोई सवाल नहीं उठता है. किसी के खाने पर और कपड़े पहनने पर कोई पाबंदी नहीं होती है.'
उन्होंने कहा, ड्रेस कोड यदि मदरसे लागू करें तो यह उनकी इच्छा है. राज्यमंत्री ने जो भी बयान दिया, उसका हमारे विभाग से कोई सरोकार नहीं है. हम इस तरह का कोई प्रस्ताव लागू करने नहीं जा रहे.'
जब ड्रेस कोड को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं तो इस पर बजट का भी कोई सवाल नहीं उठता है. उन्होंने कहा, 'किसी के खाने पर और कपड़े पहनने पर कोई पाबंदी नहीं होती है. ड्रेस कोड यदि मदरसे लागू करें तो यह उनकी इच्छा है.'
मोहसिन रजा ने कहा था, 'मदरसों में आमतौर पर बच्चे कुर्ता पैजामा और खासकर ऊंचे पजामे के कुर्ते पहन कर आते हैं, जिससे उनकी पहचान एक धर्म विशेष से होती है. मदरसे के छात्रों के बीच इसे खत्म करना जरूरी है. ऐसे में मदरसों के बच्चे भी स्कूलों के बच्चे की तरह लगें. इसलिए मदरसों में पैंट शर्ट पहनने या नए ड्रेस कोड को लेकर एक विचार चल रहा है. जल्द ही सरकार इस पर निर्णय लेगी.'
पहले सिलेबस में हुआ था बदलाव
बता दें कि यूपी के मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए पहले ही योगी सरकार द्वारा सिलेबस में बदलाव किया जा चुका है. मदरसों में अब एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य की गई है. पाठ्यक्रम में गणित हिंदी और इंग्लिश को भी लागू किया जा चुका है.
रणविजय सिंह