उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लेवाना होटल में हुए आग्निकांड में 4 लोगों की मौत हो गई है. होटल में इस तरह की आग और रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी को गंभीरता से लेते हुए यूपी सरकार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. जांच कमेटी में प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव चिकित्सा और अन्य सीनियर अफसरों को शामिल किया गया है.
बताया जा रहा है कि लेवाना होटल में आग आज सुबह साढ़े 7 बजे लगी. होटल के किचन से आग लगने की शुरुआत हुई. आग किचन तक ही सीमित थी, लेकिन उसका धुंआ पूरे होटल में फैल गया. कमरों में सो रहे लोगों का सांस लेना दूभर हो गया. जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त होटल के 30 कमरों में से 18 बुक थे. इसमें 35 लोग ठहरे हुए थे.
इन चार लोगों की मौत
जिन चार लोगों की मौत हुई, उसके पीछे धुएं का गुबार वजह बताई जा रही है. इस हादसे में साहिबा कौर और उनके मंगेतर गुरनूर आनंद की मौत हो गई है. दोनों लखनऊ के गणेशगंज के सरायफाटक के रहने वाले थे. गुरनूर के परिवार के मुताबिक, साहिबा कौर और गुरूनर आनंद होटल में पार्टी में शामिल हुए थे और वहीं रूके हुए थे.
लेवाना अग्निकांड मामले में तीसरे मृतक की शिनाख्त अमान गाजी के तौर पर की गई है, जो कि लखनऊ के रिंग रोड स्थित कल्याणपुर का रहने वाला था. चौथी मृतका की शिनाख्त श्राविका के रूप में हुई है. सभी मृतक लखनऊ के रहने वाले थे. चारों के परिवार में मातम का माहौल है और लोग होटल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
सर्वाइवर्स ने बताई पूरी कहानी
इस बीच आजतक ने उन सर्वाइवर से बात की, जिन्होंने किसी तरह अपनी जान बचाई. पवन त्यागी ने आज तक को बताया कि सुबह 7:30 का समय था, जिस वक्त वह अपने कमरे में सो रहे थे, तभी अचानक उन्हें धुआं महसूस हुआ और उनकी आंख खुली, जिसके बाद जैसे ही उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि आग का भभका उनकी तरफ आया.
पवन त्यागी ने आगे बताया कि मैंने तुरंत ही दरवाजे को बंद किया और जब खिड़की से झांककर देखा तो होटल के कर्मचारी वहां खड़े थे, उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि पाइप के जरिए ही आप नीचे आ सकते हैं, जिसके बाद मैं पाइप के जरिए किसी तरह से अपनी जान बचा पाया, आग लगने के बाद भी होटल में कोई फायर अलार्म नहीं बजा था.
एक और सर्वाइवर अक्षय ने आजतक को बताया कि सुबह धोखे से उनकी आंख खुली और आनन-फानन में लोगों की चिल्लाने की आवाज आने लगी, उसके बाद वह घबरा गए और खिड़की के सहारे नीचे उतरे. उन्होंने कहा कि होटल का कोई कर्मचारी मदद के लिए सामने नहीं आया और सभी बाहर खड़े तमाशा देख रहे थे.
अक्षय का कहना है कि आग लगने के बाद कोई फायर अलार्म भी नहीं बजा और खिड़कियों से लोग हाथ निकाल कर अपनी जान से बचाने की गुहार लगाते रहे और होटल कर्मचारी बाहर खड़े देखते रहे. वहीं अंश कौशिक ने कहा कि कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या हुआ, बाहर लोग आग-आग कहकर चिल्ला रहे थे.
सिविल अस्पताल में एडमिट मोना ने कहा कि होटल में आग से बचने के कोई इंतजाम तो मुझे नहीं दिखाई पड़े थे, मैं लखनऊ घूमने के लिए आई थी लेकिन सुबह ही यह हादसा हो गया. यानी सर्वाइवर्स की माने तो होटल प्रबंधन की तरफ से न केवल नियमों की अनदेखी की गई, बल्कि गेस्ट की जान बचाने में भी कोचाही की गई है.
समर्थ श्रीवास्तव