उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब आंकी गई है. लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापी गई हवा, 'बहुत खराब' कैटेगरी में पहुंच गई है. जहरीली हवा के कारण आम आदमी के साथ-साथ कोरोना मरीजों के लिए भी समस्या दोगुनी हो गई है.
पर्यावरणविद और विज्ञान संचारक सुशील द्विवेदी के मुताबिक लखनऊ के तालकटोरा ओद्योगिक क्षेत्र की हवा बहुत खराब होने का कारण हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर के साथ, कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइड्रोजन डाई ऑक्साइड, ओजोन गैसों का स्तर है. जो मौसम में बदलाव, साफ आसमान ना होने और हवा के रुके रहने और ओद्योगिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी के कारण है.
सप्ताह के अंत तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार यानी बेहद खतरनाक स्तर पर जा सकता है, जिसका सीधा असर 8 साल से छोटे उम्र के बच्चों, 60 साल से ऊपर के वरिष्ठ जनों और कोरोना संक्रमित मरीजों पर पड़ सकता है. इसके अलावा आम लोगों में सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन भी देखी जा सकती है.
द्विवेदी के अनुसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूषकों (PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और Pb) से मिलाकर बनाया जाता है. वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक हैं.
अन्य इंडेक्स की तरह की ही एयर क्वालिटी इंडेक्स भी हवा की गुणवत्ता को बताता है. यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 केटेगरी बनाई गई हैं. जैसे अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर. जैसे जैसे हवा की गुणवत्ता खराब होती जाती है वैसे ही रैंकिंग अच्छी से खराब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है.
शून्य से 50 तक का AQI 'अच्छा' माना जाता है. 51-100 तक 'संतोषजनक', 101-200 'मध्यम', 201-300 'खराब', 301-400 'बहुत खराब' और इससे ऊपर गंभीर श्रेणी में आता है. 500 के ऊपर AQI गंभीर और आपतकाल स्थिति के लिए होता है.
आशीष श्रीवास्तव