सात समंदर पार अमेरिका में होगा झांसी के इस कुत्ते का इलाज, जानें पूरी कहानी

अमेरिका की एक संस्था के माध्यम से इस कुत्ते को एक अमेरिकी महिला ने न सिर्फ गोद लिया बल्कि उसका इलाज कराने की भी पूरी जिम्मेदारी ली है.

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इलाज के बाद भी नहीं लौटी आंखों की रोशनी इलाज के बाद भी नहीं लौटी आंखों की रोशनी

अमित श्रीवास्तव

  • झांसी,
  • 14 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST
  • मिनी खरे की पहल लाई रंग
  • 7 से 8 महीने है कुत्ते की उम्र

उत्तर प्रदेश के झांसी शहर के आईटीआई मोहल्ले में तकरीबन सात से आठ महीने की उम्र का एक कुत्ते का बच्चा टहलते दिख जाता था. गंभीर रूप से जख्मी इस कुत्ते की आंखों से नहीं दिखता था. झांसी की एक पशु प्रेमी की मुहिम रंग लाई और अब इस कुत्ते की आंखों का इलाज अमेरिका में होगा. उसे अमेरिका की एक महिला ने गोद लिया है. वह अमेरिका पहुंच भी गया है.

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झांसी की रहनेवाली पशुप्रेमी मिनी खरे की पहल से एक बीमार और लावारिस कुत्ते के बच्चे को न केवल सहारा मिला बल्कि वह भारत से अमेरिका भी पहुंच गया. अमेरिका की एक संस्था के माध्यम से इस कुत्ते को एक अमेरिकी महिला ने न सिर्फ गोद लिया बल्कि उसका इलाज कराने की भी पूरी जिम्मेदारी ली है. झांसी की मिनी खरे आवारा जानवरों की देखभाल के लिए एक संस्था चलाती हैं और लंबे समय से आवारा और बीमार कुत्तों के लिए काम कर रही हैं.

घायलावस्था में मिला था मीनू खरे को

जीव आश्रय समिति नाम की संस्था की संचालक मिनी खरे को फरवरी में किसी ने सूचना दी थी कि आईटीआई मोहल्ले में कुत्ते का एक छोटा बच्चा टहल रहा है. उस पिल्ले को आंखों से दिखाई नहीं देता है और वह चोटिल हालत में है. इसके बाद मिनी खरे ने संस्था के सदस्यों की मदद से उसका इलाज कराना शुरू किया. डॉक्टरों ने उसकी आंखों की रोशनी वापस आने से जब इनकार कर दिया तो मिनी ने निर्णय किया कि वो खुद ही इसकी देखभाल करेंगी. मिनी ने तकरीबन दो महीने तक उसकी देखभाल की भी, अपने घर में रखा.

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अमेरिकी महिला ने लिया गोद

मिनी खरे ने बताया कि उनकी संस्था को इस कुत्ते के बच्चे के बारे में जानकारी मिली कि शायद इसके साथ कोई क्रूरता हुई है या वह जन्म से ही देख नहीं सकता है. संस्था के लोगों ने उसका इलाज कराना शुरू किया. उसकी हालत पहले से बेहतर तो हो गई लेकिन उसकी देखने की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. उसकी हालत को देखते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से अडॉप्शन की अपील की गई. मिनी के मुताबिक एक संस्था ने इसके अडॉप्शन के लिए पहल की और दिल्ली की डॉक्टर प्रेमलता चौधरी की टीम झांसी आई और इसे दिल्ली ले गई. इसे दो महीने उनकी देखरेख में दिल्ली में रखा गया ओर इसका इलाज भी किया गया लेकिन इसको दिखना फिर भी शुरू नहीं हुआ.

जून में पहुंचा अमेरिका, हेलेन ब्राउन ने रखा

मिनी खरे बताती हैं कि जून महीने में यह कुत्ता अमेरिका पहुंच गया. जानवरों के लिए काम करने वाली एक अमेरिकी संस्था हेलेन ब्राउन ने इसे अपने पास रखा और इसके लिए किसी गोद लेने वाले की तलाश में जुट गई. अमेरिकी संस्था हेलेन ब्राउन की मेहनत रंग लाई और सोमवार यानी कि 12 जुलाई को एक महिला ने कुत्ते के बच्चे को गोद ले लिया. अब वह महिला इस कुत्ते को अमेरिका में अपने पास रखकर इसका इलाज कराने का भरोसा भी दे रही है. अमेरिका पहुंचने के बाद अमेरिकी संस्था ने कुत्ते की फोटो शेयर करते हुए मिनी खरे ओर उनकी टीम तो धन्यवाद दिया है.

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