ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की डिज़ाइन पर लखनऊ में भी भव्य जगन्नाथ मंदिर बनेगा. इस संबंध में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी ओड़िया समाज के लोगों के लिए 5 एकड़ की ज़मीन स्वीकृत की है. इसके अलावा सरोजिनीनगर के बिजनोर में ‘उड़ीसा कल्चरल एंड रिसर्च सेंटर’ भी बनेगा. साल 2018 में सीएम योगी ने उड़िया समाज के कार्यक्रम में इस बात की घोषणा भी की थी.
दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपना एक वादा निभाया है. 2018 में उड़ीसा के स्थापना दिवस ‘उत्कल दिवस’ के एक कार्यक्रम में लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे और प्रवासी उड़िया समाज की मांग पर ‘उड़ीसा कल्चरल सेंटर’ और जगन्नाथ मंदिर के लिए’ मदद की घोषणा की थी. हाल ही में शासन की ओर से लखनऊ में उड़ीसा समाज को अवगत कराया गया है कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर उड़ीसा का कल्चरल सेंटर और मंदिर बनाने के लिए सरोजिनीनगर के बिजनोर में पाँच एकड़ की ज़मीन हस्तांतरित की जाएगी. इसके बाद मंदिर और कल्चरल सेंटर बनाने के लिए क़वायद शुरू हो गयी है.
लखनऊ उड़िया समाज के महासचिव डॉ डी आर साहू का कहना है कि ‘इस पहल से प्रवासी उड़िया समाज काफ़ी उत्साहित है. मंदिर की जो योजना अभी बनायी गयी है वो जगन्नाथ मंदिर की तर्ज़ पर बनेगा. उसी शैली का मंदिर यहां लखनवऊ में लोग देख पाएंगे. वहीं, कल्चरल सेंटर बनने से भी उड़ीसा की संस्कृति, हस्तकला को लोग जान पाएंगे. प्रवासी उड़िया समाज का बड़ा कार्यक्रम भी, यहां बनने वाले सभागार में आयोजित किया जा सकेगा. इससे यूपी में उड़ीसा की संस्कृति का सम्वर्धन होगा.’
इसके लिए विशेष सचिव रणविजय सिंह ने ज़िलाधिकारी लखनऊ को निर्देश दिए और ज़िलाधिकारी ने प्रमुख सचिव आवास और शहरी नियोजन को पत्र लिखा है. इसके बाद भूमि के हस्तांतरण का काम शुरू हो गया है. लखनऊ उड़िया समाज के अध्यक्ष जीबी पटनायक का कहना है कि ‘ जगन्नाथ मंदिर की वास्तु शैली पर यूपी में भी लोग मंदिर देख पाएंगे और ये भारत की कल्चरल डाईवर्सिटी की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा.’
लखनऊ में उड़ीसा के लोगों की आबादी एक लाख के क़रीब है जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं. लखनऊ का उड़िया समाज 1994 से सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में कार्य करता रहा है. 1999-2000 में उड़ीसा में आए सुपर साइक्लोन की त्रासदी के बाद पीड़ितों की सहायता करने के लिए लोगों की मदद से लखनऊ के उड़िया समाज ने 2 करोड़ 25 लाख रुपए की सहायता भी भेजी थी.
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शिल्पी सेन