Holi 2021: होली पर मथुरा के इस गांव में होती है प्रहलाद लीला, अंगारों पर चलेगा मोनू पंडा नाम का शख्स

फालैन गांव में अंगारे पर चलने से पहले मोनू पंडा तप करने के लिए बैठता है. मोनू पंडा ग्रामीणों के साथ गांव की परिक्रमा भी करता है. होली के धधकते अंगारों के बीच से निकलने वाला मोनू पंडा दूसरी बार ये कारनामा दिखाने जा रहा है.

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मथुरा के फालैन गांव में होली मथुरा के फालैन गांव में होली

मदन गोपाल शर्मा

  • मथुरा ,
  • 04 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:11 AM IST
  • होली पर मथुरा के गांव में प्रह्लाद लीला
  • अंगारों पर चलेगा मोनू पंडा नाम का शख्स
  • दूसरी बार दिखाने जा रहा ये कारनामा

यूं तो होली समूचे भारत में मनाई जाती है लेकिन मथुरा की होली सबसे अलग है. अपने अनूठेपन के लिए विश्व-प्रसिद्ध मथुरा की होली में एक से एक कारनामे देखने को मिलते हैं. जी हां, यहां के एक गांव फालैन में होली के मौके पर मोनू पंडा नाम का शख्स धधकते हुए अंगारों पर चलता है. इस बार भी मोनू पंडा इस हैरतअंगेज कारनामे को अंजाम देगा.

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कोसीकलां क्षेत्र के फालैन गांव में अंगारे पर चलने से पहले मोनू पंडा तप करने के लिए बैठता है. मोनू पंडा ग्रामीणों के साथ गांव की परिक्रमा भी करता है. होली के धधकते अंगारों के बीच से निकलने वाला मोनू पंडा दूसरी बार ये कारनामा दिखाने जा रहा है. 

शनिवार को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गांव में मेले की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी गई हैं. इस मौके पर जमकर होली गायन भी हुआ और ग्रामीणों ने झूमकर नृत्य किया.

मोनू पंडा

गांव के मध्य में स्थित प्रहलाद जी मंदिर पर प्रातः मोनू पंडा ने सैकड़ों ग्रामीणों के साथ वहां पूजा-अर्चना की और गांव की परिक्रमा की. तप के दौरान मोनू ने नियम संयम का पालन करना भी शुरू कर दिया है. मोनू की यह पूजा लगातार एक महीने तक चलेगी. मंदिर पर आयोजित कार्यक्रम में ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ होली के रसिया, धमार और पारंपरिक गीतों का गायन किया, जिस पर ग्रामीणों ने जमकर नृत्य किया. 

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ग्रामीणों के साथ गांव की परिक्रमा करता मोनू पंडा

मोनू पंडा द्वारा घोषणा करने के साथ ही पंडित द्वारा पूजा कराई गई और परिक्रमा के लिए रवाना किया गया. बड़ी संख्या में लोगों ने परिक्रमा में भाग लिया. जगह-जगह लोगों ने पंडा का स्वागत किया. पूरे गांव का भ्रमण करते हुए पंडा ग्रामीणों के साथ प्रहलादजी के मंदिर पर पहुंचा, जहां उसने एक माह के कठोर तपस्या का प्रण किया और घर बार त्याग कर मंदिर सेवा को ही ध्येय बनाया है.

प्रहलादजी की माला धारण करने वाले पंडा को एक माह तक कठोर नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना करनी होगी, जिसके तहत वह घर से संपर्क नहीं रखेगा, न वहां जा सकेगा. इस दौरान वह सिर्फ जमीन पर सोएगा. पूरे माह उसे व्रत रखकर खुद को अग्निपरीक्षा के काबिल बनाना होगा.

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