भदोही: नोटबंदी से ठप हुआ कारपेट का कारोबार

यहां के इस्तियाक अहमद की फैक्ट्री में कारपेट को रंगरूप दिया जाता है, जहां देश के कई हिस्सों से आए कुशल और अकुशल कारीगर उनकी फैक्ट्री में खूबसूरत कालीन बनाते हैं.

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नोटबंदी से कारोबार पर असर नोटबंदी से कारोबार पर असर

लव रघुवंशी

  • भदोही,
  • 08 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

नोटबंदी के 30 दिनों के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. बैंक और एटीएम अभी भी कैश की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में तमाम उद्योग और इन उद्योगों से जुड़े हुए लोगों की जिंदगियां भी प्रभावित हुई हैं. उत्तर प्रदेश का भदोही अपने कारपेट के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, भदोही का कारपेट उद्योग ना सिर्फ भारत के कोने-कोने में बल्कि दुनिया के हर शहर में कारपेट पसंद करने वालों की ख्वाहिश पूरी करता है.

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यहां के इस्तियाक अहमद की फैक्ट्री में कारपेट को रंगरूप दिया जाता है, जहां देश के कई हिस्सों से आए कुशल और अकुशल कारीगर उनकी फैक्ट्री में खूबसूरत कालीन बनाते हैं. नोटबंदी के बाद इस्तियाक अहमद के रोजमर्रा की जिंदगी पर काफी प्रभावित पड़ा है, कैश की कमी के चलते ना तो ये मजदूरों को रोजाना की तनख्वाह दे पा रहे हैं ना ही उनके अपने घरखर्च के लिए कैश मयस्सर हो रहा है.

कुछ ऐसा ही हाल इस्तियाक अहमद की फैक्ट्री में काम करने वाले गुड्डू का है. गुड्डू की मानें तो कैश की कमी ने उनके घर की जरूरतों पर इमरजेंसी लगा दी है. कमाई कम हो रही है इसलिए खाते में पैसा ही नहीं है, लेकिन नोटबंदी के चलते उभरी कैश की कमी से उनके मालिक भी उन्हे रोजमर्रा के खर्च के लिए पैसे नहीं दे पा रहे.

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इस्तियाक अहमद के मुताबिक बंगाल और बिहार से आने वाले ज्यादातर कुशल कारीगर पैसों की कमी के चलते काम छोड़कर वापस अपने गांव जा चुके हैं, जिसके चलते कारपेट उद्योग ठप पड गया है. मजदूरों के पलायन की खबरें देश भर से आ रही हैं ऐसे में हर छोटे बड़े उद्योगों पर इसकी बुरा असर पड़ना लाजमी है.

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