उत्तर प्रदेश में अजान को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वीसी और योगी सरकार के मंत्री के अजान पर चिट्ठी लिखने के बाद ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान जारी किया है. पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने बयान की निंदा की है.
मौलाना अब्बास ने वीडियो जारी कर कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि उत्तर प्रदेश के मंत्री आनंद शुक्ला ने अजान पर एतराज जताया है, जिसकी मैं भरपूर निंदा करता हूं. सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोग अजान से एतराज कर रहे हैं. चाहे वो इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति हों या फिर भाजपा सरकार के राज्यमंत्री.
'हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब है'
मौलाना अब्बास ने वीडियो में कहा, "हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब है. हमारे यहां मंदिर में घंटी भी बजती है और मस्जिद में अजान भी होती है. हिंदुस्तान के हिंदुओं को ना ही अल्लाह-हू-अकबर से तकलीफ है और ना ही हिंदुस्तान के मुसलमानों को मंदिर में बज रही घंटी से कोई तकलीफ है. लेकिन, बड़े अफसोस की बात है कि कुछ ऐसी ताकतें हैं जो हिंदुओं को मुसलमान से और मुसलमान को हिंदुओं से लड़ाने की कोशिश कर रही हैं और अब इस खेल को खेलने में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अहम भूमिका निभा रहे हैं." उन्होंने अपील की कि ऐसे बयान देने वाले मंत्री और कुलपति पर रोक लगाई जाए, नहीं तो देश के हालात खराब हो सकते हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 3 मार्च को इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिखी थी. इसमें कहा कि अजान के कारण उनकी नींद टूटती है और इसके बाद उनके काम में खलल पड़ता है. वहीं, अब योगी सरकार में संसदीय कार्य और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री आनंद शुक्ला ने भी अजान पर एतराज जताया है.
उन्होंने मंगलवार को बलिया के डीएम को चिट्ठी लिखकर ज्यादा संख्या में लगे लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग की है. चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि तेज आवाज से बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ता है. इसके अलावा सरकारी कामकाज में भी दिक्कत आती है.
सत्यम मिश्रा