लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रोजगार का मुद्दा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. पहले रोजगार के आंकड़ों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा और आज देशभर से आए युवा राजधानी दिल्ली की सड़कों सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. गुरुवार को देश की कई यूनिवर्सिटियों के छात्र संगठन दिल्ली में ‘यंग इंडिया अधिकार मार्च’ निकालेंगे. ये मार्च लाल किले से शुरू होगा और संसद मार्ग तक जाएगा.
इस मार्च में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, पंजाब यूनिवर्सिटी, FTII, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र नेता शामिल हो सकते हैं. ये सभी यूनिवर्सिटियां पिछले 1 महीने से देशभर में रोजगार, अच्छी शिक्षा के मुद्दे को उठा रही हैं.
इस मार्च का मुख्य मकसद सस्ती अच्छी शिक्षा, सम्मानजनक रोजगार, भेदभाव से मुक्ति और आजाद विचार को लागू करवाना है. आपको बता दें कि इससे पहले भी इन संगठनों ने SSC, रेलवे भर्ती, पेपर लीक और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है.
इस मार्च में विपक्ष के भी कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं. जिनमें गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव जैसे नेता शामिल हैं. गौरतलब है कि इससे पहले भी बीते दिनों में केंद्र सरकार के खिलाफ देश के कई हिस्सों में किसानों ने मार्च निकाले थे, जिन्होंने काफी सुर्खियां भी बटोरी थीं.
आपको बता दें कि हाल ही में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने रोजगार के आंकड़े जारी किए हैं. इनके मुताबिक देश में बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है. आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी है. इन आंकड़ों के सामने के आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार को घेरा था. हालांकि, केंद्र सरकार ने इन आंकड़ों को गलत बताया था.
राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए हिटलर शब्द का इस्तेमाल किया था. राहुल ने लिखा था कि 'The Fuhrer' ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया गया था. लेकिन 5 साल बाद पता लगा है कि देश तबाह हो चुका है.
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