बंगाल में ममता का ‘माछेर झोल’ स्ट्रोक, 21 रुपये में मिलेगा मछली-चावल

'एकुशे अन्नपूर्णा' नाम से शुरू किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गहरी दिलचस्पी ले रही हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत बंगाल की प्रसिद्ध डिश 'माछेर झोल' को मात्र 21 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा.

Advertisement
सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

इंद्रजीत कुंडू

  • कोलकाता,
  • 21 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:30 AM IST

मंहगाई बढ़ने के साथ दैनिक उपभोग की वस्तुओं के आम आदमी की पहुंच से बाहर होने के बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार अनोखा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है. राज्य में लोगों को राहत देने के उद्देश्य से इस प्रोजेक्ट में पका-पकाया खाना उपलब्ध कराया जाएगा.

'एकुशे अन्नपूर्णा' नाम से शुरू किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गहरी दिलचस्पी ले रही हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत बंगाल की प्रसिद्ध डिश 'माछेर झोल' (मछली और चावल) को मात्र 21 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा.

Advertisement

मालदीव ने नहीं मानी भारत की बात, 30 दिन और बढ़ाई इमरजेंसी

कोलकाता में एक साल तक चले पायलट प्रोजेक्ट के बाद राज्य का मत्स्य विभाग अपने इस आइडिया को मूर्त रूप देने में जुटा है. राज्य के मत्स्य पालन मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने बताया, 'माछेर झोल की थाली में चावल, मछली के साथ दाल, सब्जी और चटनी भी होगी. कीमत 21 रुपये होगी. शहर में हर रोज हजारों लोग काम के लिए आते हैं. हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें दोपहर के भोजन के लिए भरपेट सस्ता खाना मिले.'

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कहा, अखंड भारत का समर्थन करता है कनाडा

मत्स्य विभाग के मुताबिक सस्ता खाना कोलकाता और अन्य जिलों के अहम स्थानों पर बैटरी चालित गाड़ियों से बेचा जाएगा. मत्स्य पालन मंत्री सिन्हा ने बताया कि कोलकाता से पहले इसे शुरू किया जा रहा है, फिर इसे सारे जिला मुख्यालयों में लागू किया जाएगा.

Advertisement

यह पूछे जाने पर कि क्या ये योजना तमिलनाडु में 2013 में शुरू की गई 'अम्मा कैंटीन' से प्रेरित है, क्या वहीं से आइडिया लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पंचायत चुनावों से पहले इसे ला रही हैं, इस पर सिन्हा ने कहा, 'ये प्रोजेक्ट गरीबों की मदद के लिए मुख्यमंत्री के संकल्प से प्रेरित है. हम दीदी के उस सपने को पूरा करना चाहते हैं जिसके तहत राज्य में हर व्यक्ति को पौष्टिक लेकिन सस्ता खाना आसानी से उपलब्ध रहे. हमारे पास जो सीमित इन्फ्रास्ट्रक्चर है, उसी में हम इसे सफल बना कर दिखाएंगे.'

सरकारी नोडल एजेंसी की ओर से चलाई जाने वाले प्रोजेक्ट को 'नो लॉस, नो प्रॉफिट' के आधार पर चलाया जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement