आसनसोल: मुस्लिम घरों से निकलने में डरते हैं, हिंदू लौटने से

अखिलानंद के घर से 10 मिनट की दूरी पर 50 वर्षीय सुमित्रा देवी और उनका परिवार रहता है. सुमित्रा का परिवार सब कुछ खो चुका है.

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सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा आसनसोल सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा आसनसोल

नंदलाल शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 31 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST

पश्चिम बंगाल के चांदमारी की रेलवे कॉलोनी में अपने घर के बाहर तन्हा खड़े अखिलानंद सिंह अपने पड़ोसी के घर की ओर इशारा करते हैं, जो कि सांप्रदायिक हिंसा में क्षतिग्रस्त हो चुका है, लूटा गया है. अखिलानंद कहते हैं कि उनका बेटा पुलिस हिरासत में है और उन्हें मालूम नहीं कि अब क्या करना है.

रेलवे गार्ड अखिलानंद सिंह के रिटायर होने में अब केवल दो साल का समय बचा है. अखिलानंद उन सैकड़ों लोगों में से एक हैं, जो आसनसोल में बिखरी हुई चीजों को सहेज रहे हैं. आसनसोल में रामनवमी उत्सव के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यहीं पर पूरा दुख-दर्द धार्मिक आधार पर बंट जाता है. जो लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं, उनमें काफी हिंदू हैं और उन्हें अब लौटने में डर लगता है. जो लोग अपने घरों में बने हुए हैं, उनमें मुस्लिमों की काफी संख्या है और उन्हें अपने घर से निकलने में डर लगता है.

'मैंने मदद के लिए फोन मिलाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला'

सिंह कहते हैं, 'मैंने 100 नंबर मिलाया और जो भी नंबर पाया उस पर फोन मिलाया, मैंने कॉल किया. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद मैंने अपने दोस्त और कुछ युवा दोस्तों को फोन किया और उनसे मदद मांगी. रविवार की दोपहर मैं अपनी पत्नी, बेटे-बेटी, बहू और पोतों को लेकर यहां से 6 किलोमीटर दूर बर्नपुर लेकर गया. इसके बाद शुक्रवार को मैं अपने बेटे के साथ अपने घर को देखने के लिए वापस लौटा और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.' सिंह के घर में लूट हुई है और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया है.

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'आग में जल गए पैसे-गहने और राशन कार्ड भी'

अखिलानंद के घर से 10 मिनट की दूरी पर 50 वर्षीय सुमित्रा देवी और उनका परिवार रहता है. सुमित्रा का परिवार सब कुछ खो चुका है. पैसा और गहनों सहित राशन कार्ड जैसे सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज आग में जलकर खाक हो गए हैं. रामकृष्ण दंगलपारा स्थित सुमित्रा देवी के घर को भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था.

'16 साल के रजा का एक साल बर्बाद हो गया'

सुमित्रा के घर से 15 मिनट की दूरी पर नूरानी मस्जिद के पास खड़े 16 वर्षीय नदीम रजा सपाट चेहरे के साथ निशब्द खड़े हैं. रजा को इस बात की चिंता है कि बोर्ड परीक्षा में न बैठने की वजह से अब उनका एक साल बर्बाद हो जाएगा. इलाके के कम से कम 200 बच्चे इस साल की बोर्ड परीक्षा में बैठने से रह गए हैं. रजा कहते हैं कि अपने पड़ोस से बाहर पांव निकालने में भी डर लगता है.

आसनसोल में 75 फीसद है हिंदुओं की आबादी

शुक्रवार को पुलिस ने इलाके में मार्च अभियान निकाला. हालांकि, आसनसोल से अब किसी हिंसा या दुखद घटना की कोई खबर नहीं मिली है. आसनसोल मूलतः हिंदू बहुत इलाका है. यहां बिहार और उत्तर प्रदेश से आए हुए लोग पीढ़ियों से रह रहे हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक पश्चिमी बर्दवान जिले के इस शहर की आबादी 5 लाख 63 हजार 917 है, जिनमें 75.18 प्रतिशत हिंदू हैं और 21.26 प्रतिशत मुस्लिम हैं.

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पुलिस कमिश्नर एलएन मीणा का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है. जागरुकता फैलाने और अफवाहों को रोकने के लिए पुलिस लाउडस्पीकर का उपयोग कर रही है. संवेदनशील इलाकों में पुलिस ने बड़ी संख्या में जवान तैनात कर रखे हैं. अभी तक लगभग 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

शहर के मुख्य इलाकों में कुछ दुकानों में आगजनी हुई है, लेकिन कई अन्य इलाके हिंसा से बहुत प्रभावित हुए हैं. इनमें रेल पार, चांदमारी, राम कृष्णा दंगलपारा, श्रीनगर विरान हो गए हैं.

'नकाब पहने आए लोगों ने की आगजनी, घरों को लूटा'

अखिलानंद सिंह कहते हैं, 'रामनवमी रैली के एक दिन बाद 10 बजे के करीब कुछ लड़के अपने चेहरे पर नकाब बांधे लाठी और रॉड के साथ हमारे पड़ोस में दाखिल हुए. मैंने अपना घर अंदर से बंद कर लिया. हमें गनशॉट्स की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं. मैंने अपने एक साल के पोते का चेहरा ढक दिया, ताकि वो चिल्लाए न और हमारा पता नहीं चल पाए. उन्होंने हमारे दरवाजे तोड़ दिए और सबकुछ लूट ले गए. उन्होंने कुछ दुकानों में आग भी लगा दी.' अखिलानंद सिंह मूलतः बिहार के रहने वाले हैं.

'घर छोड़ चुके देबनाथ, हर रोज आते हैं बूढ़ी दादी को खाना खिलाने'

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एक स्थानीय निवासी जॉय देबनाथ कहते हैं, 'मेरे भाई, मां और पिता सभी बर्नपुर में मेरी आंटी के घर हैं. लेकिन मेरी दादी मां बीमार हैं और वो मेरी मोटरबाइक पर नहीं बैठ सकती. इसलिए मैं हर रोज वापस घर लौटता हूं ताकि उनको खाना खिला सकूं. मुझे पता नहीं कि मैं कितने दिन ऐसा कर पाऊंगा.' इलाके के चांदनी मार्केट में देबनाथ सेलफोन रिचार्ज की दुकान चलाते हैं.

'बेटे का बदला न लेना, वरना छोड़ दूंगा मस्जिद'

नूरानी मस्जिद के पास चेतलाडंगा नदी पार में, रहने वाले इमाम इमादुल्ला रशीदी हिंसा में अपने बेटे को खो चुके हैं. रशीदी ने अपने लोगों से कहा है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें. गुरुवार को रशीदी ने पूरे देश को यह कहते हुए झकझोर दिया कि अगर उनके बेटे का बदला लेने की कोशिश हुई तो वे मस्जिद छोड़ देंगे.

'बाबुल आए और एक समुदाय से मिलकर चले गए'

लेकिन सांप्रदायिक हिंसा में झुलसे लोगों का आक्रोश ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा. स्थानीय निवासी मोहम्मद इमरान कहते हैं, 'इलाके के सांसद (बीजेपी के केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो) आए और केवल एक समुदाय से मिलकर चले गए. उन्होंने हमारे खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए, जोकि टीवी चैनलों पर लाइव चला. क्या वे हमारे सांसद नहीं है?' हम अपना घर छोड़कर नहीं जा सकते.'

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'पटरी पर लौट रहा आसनसोल, लेकिन समय लगेगा'

टीएमसी कांग्रेस लीडर और आसनसोल के मेयर जीतेंद्र तिवारी कहते हैं, 'बीजेपी बाहर के नेताओं और सांसदों के जरिए तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है. लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो रही हैं. लेकिन इसमें समय लगेगा.'

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