सदानंद गौड़ा बोले- कॉलेजियम सिस्टम के नए ड्राफ्ट MOP पर SC के जवाब का इंतजार

केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम का नया ड्राफ्ट मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) तैयार कर सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया है. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट के जवाब का इंतजार है. कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने दो साल में अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा देते हुए ये बात कही.

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पहले MOP के कुछ प्रावधानों पर मुख्य न्यायाधीश को ऐतराज था पहले MOP के कुछ प्रावधानों पर मुख्य न्यायाधीश को ऐतराज था

केशव कुमार / अहमद अजीम

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2016,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST

केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम का नया ड्राफ्ट मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) तैयार कर सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया है. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट के जवाब का इंतजार है. कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने दो साल में अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा देते हुए ये बात कही.

पहले ड्राफ्ट MOP को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने खारिज कर दिया था. पहले MOP के कुछ प्रावधानों पर मुख्य न्यायाधीश को ऐतराज था.

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जजों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज हुई
गौड़ा ने कहा कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज हुई है. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून रद्द होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हमसे मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर बनाने के लिए कहा था. हमने मुख्य न्यायधीश से कहा है कि जब तक नया MOP नहीं बन जाता पुराने के आधार पर जजों की नियिक्ति की जाए. नया ड्राफ्ट MOP सुप्रीम कोर्ट को भेज गया है. अब सुप्रीम कोर्ट के जवाब का इंतजार है.

हाई कोर्ट्स में जजों के पद 906 से बढ़कर 1165 हुए
कानून मंत्री के मुताबिक, अब तक 51 नए जजों की नियुक्तियां हुई हैं. वहीं 86 अतिरिक्त जजों को परमानेंट जज नियुक्त किया जा चूका है. हाई कोर्ट्स में जजों के पद भी 906 से बढ़ा कर 1065 किए गए हैं. सरकारी वकीलों की संख्या भी बढ़ाई गई है.

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ऑर्बिट्रेशन कानून में सरकार ने किए कई बदलाव
मंत्रालय के कामकाज का हिसाब देते हुए गौड़ा ने कहा कि व्यवसायिक विवादों के त्वरित निपटारे के लिए बेहतर व्यवस्था देने की कोशिश सरकार ने की है, ताकि कारोबार करने में आसानी हो सके. इसी के मद्देनजर ऑर्बिट्रेशन कानून में सरकार ने कई बदलाव किए, ताकि कोर्ट में ऐसे मामले कम से कम पहुंचे.

नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी पर काम कर रही है सरकार
गौड़ा ने कहा कि ट्रिब्यूनल्स के विस्तार और बेहतर उपयोग पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट आ चुकी है. मंत्रियों का समूह इस पर गौर कर रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार राष्ट्रीय लिटिगेशन पॉलिसी पर काम कर रही है. इसकी कोशिश रही है कि सरकार और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग यानी सरकारी कंपनियों के बीच कानूनी विवाद कम किए जाएं.

मोदी सरकार में खत्म हुए 1175 गैरजरूरी कानून
पुराने कानूनों को खत्म करने का ढिंढोरा एक बार फिर पीटते हुए गौड़ा ने कहा कि मोदी सरकार में बेहद पुराने हो चुके गैरजरूरी बहुत से कानूनों को खत्म किया गया. इस सिलसिले में सरकार ने चार नए बिल पास किए और 1175 गैरजरूरी कानूनों को खत्म किया.

पढ़ें - कॉलेजियम सिस्टम और NJAC में क्या है अंतर

14 हजार अदालतों को कंप्यूटराइज्ड किया गया
कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों के कंप्यूटरीकरण के लिए सरकार जोर-शोर से लगी हुई है. इसके पहले चरण में अब तक 14 हजार अदालतों को कंप्यूटराइज्ड किया जा चुका है. अब इसका दूसरा चरण भी शुरू हो चुका है. इस काम के लिए 202 करोड़ रुपये भी जारी किए जा चुके हैं.

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मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए बहुत कुछ करना बाकी
इन तमाम दावों की हकीकत क्या है ये तो सभी जानते हैं. एक आम आदमी से पूछिए कि कचहरी का भय क्या होता है. एक छोटे से मुकदमे के लिए भी सालों अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं. जाहिर है इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.

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