नेहरू के हाफ पैंट पहन कर RSS की शाखा में जाने वाले फोटो का सच

फोटो देखने से ये व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू ही लगते हैं और वेशभूषा भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ड्रेस से मिलती जुलती है. तो क्या है इस फोटो की सच्चाई? क्या कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर आरएसएस की तीखी आलोचना करने वाले नेहरू सचमुच उनके कार्यक्रम में गए थे और उन्हीं की ड्रेस भी पहनी थी?

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जवाहरलाल नेहरू की वायरल फोटो का सच जवाहरलाल नेहरू की वायरल फोटो का सच

रणविजय सिंह / कुमार विक्रांत / बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:08 PM IST

प्रणब मुखर्जी के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के मुख्यालय जाकर भाषण देने को लेकर मची गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो इन दिनों खूब वायरल हो रही है. इस फोटो के बारे में दावा किया जा रहा है ये जवाहरलाल नेहरू की फोटो है, जिसमें वो आरएसएस की शाखा में दिख रहे हैं. फोटो के बारे में ये भी दावा किया जा रहा है कि यह बेहद दुर्लभ फोटो है.

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इस फोटो के साथ में यह संदेश भी लिखा है कि क्या नेहरू जी भी भगवा आतंकवादी थे? तमाम लोग इस फोटो को लेकर नेहरू के खिलाफ अनाप-शनाप टिप्पणी भी कर रहे हैं.

हालांकि ये फोटो काफी पुरानी है और सोशल मीडिया पर भी काफी दिनों से घूम रही है, लेकिन प्रणब मुखर्जी की वजह से इसे इस समय फिर से खूब शेयर किया जा रहा है.

फोटो देखने से ये व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू ही लगते हैं और वेशभूषा भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ड्रेस से मिलती जुलती है. तो क्या है इस फोटो की सच्चाई? क्या कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर आरएसएस की तीखी आलोचना करने वाले नेहरू सचमुच उनके कार्यक्रम में गए थे और उन्हीं की ड्रेस भी पहनी थी?

जिस फोटो के दम पर ये दावा किया जाता है कि उसी को ध्यान से देखने पर पता चलता है उसमें नीचे कुछ और लिखा हुआ है. ध्यान से देखने से पता चलता है कि फोटो में मराठी में लिखा हुआ है- ''पं जवाहरलाल नेहरू आणि इतर नैते''. जिसका मतलब है जवाहरलाल नेहरू बाकी नेताओं के साथ. नीचे दूसरी लाइन में लिखा है- ''1939 साली उत्तर प्रदेशयातील नैनी येथील''. जिसका मतलब हुआ- साल 1939 में उत्तर प्रदेश के नैनी में. यानि ये बात तो वायरल फोटो से ही साफ हो गई की फोटो इलाहाबाद के पास नैनी की है और बात 1939 की है. फोटो में दिखने वाले व्यक्ति सचमुच जवाहरलाल नेहरू ही हैं.

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फोटो हालांकि ब्लैक एंड वाइट है लेकिन ये देखा जा सकता है कि नेहरू और दूसरे सभी लोगों ने सफेद टोपी पहन रखी है. आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और तब से लेकर अब तक आरएसएस की ड्रेस में लगातार बदलाव होता रहा है. लेकिन इस स्थापना से लेकर अभी तक आरएसएस की टोपी का रंग काला ही है और कभी नहीं बदला. संघ प्रमुख मोहन भागवत की काली टोपी में तमाम फोटो इंटरनेट पर देखी जा सकती है. यानी ये बात साफ है कि नेहरू, आरएसएस की शाखा में नहीं हैं.

कांग्रेस के कई नेताओं से बात करने पर ये पता चला कि ये फोटो वाकई नैनी में सेवा दल के एक कार्यक्रम में ली गई थी. सेवा दल कांग्रेस की एक संस्था है जिसकी स्थापना आरएसएस से एक साल पहले 1924 में अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए की गई थी और जवाहर लाल नेहरू इसके पहले अध्यक्ष थे. नेहरू की सेवा दल के इसी ड्रेस में तमाम और फोटो इंटरनेट पर मौजूद हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश ने इस फोटो के बारे में पूछने पर कहा कि ''सेवा दल के कार्यक्रम को दुष्प्रचार करके आरएसएस से साथ जोडा जाता है. उस वक्त कपड़ों में ज्यादा रंग नहीं थे इसलिए खाकी ही चलती थी. श्रमदान के वक्त हाफ पैंट ही पहनी जाती थी.''  

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आरएसएस के दिल्ली प्रचार प्रभारी राजीव तूली भी मानते हैं कि नेहरू आरएसएस के कार्यक्रम या किसी शाखा में कभी नहीं गए. वो कहते हैं कि सोशल मीडिया पर इस फोटो को गलत तरीके से चलाया जा रहा है. इतिहास के तमाम दस्तावेज इस बात के गवाह हैं कि नेहरू और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के संबधों में ज्यादातर तनाव ही रहा. कांग्रेस पार्टी के फेसबुक पेज पर जवाहरलाल नेहरू की लिखी एक चिठ्ठी मौजूद है जो उन्होंने 7 दिसंबर 1947 को प्रधानमंत्री के तौर पर सभी मुख्यमंत्रियों को लिखी थी जिसे यहां पढ़ा जा सकता है...

इस चिठ्ठी में नेहरू ने आरएसएस की तुलना हिटलर के नाज़ी संस्था से की थी और कहा था कि संघ जिस तरह की प्राइवेट आर्मी तैयार कर रहा है वो खतरनाक है और राज्यों को इस पर पैनी नज़र रखनी चाहिए. ये बात जगजाहिर है कि 30 जनवरी 1948 तो महात्मा गांधी की हत्या के पांच दिनों बाद 4 फरवरी 1948 को उस वक्त आरएसएस के प्रमुख एम एस गोलवलकर को हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार करके आरएसएस पर बैन लगा दिया गया था.

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