सर्जिकल स्ट्राइक के 2 साल पूरे, पराक्रम दिवस मना रही भारतीय सेना

भारतीय सेना योजनाबद्ध तरीके से 28-29 सितंबर की आधी रात पाकिस्तान की सीमा में 3 किलोमीटर के अंदर घुसी और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

परमीता शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:29 AM IST

आज सर्जिकल स्ट्राइक के 2 साल पूरे हो गए. 2016 में उरी में आतंकी हमले के 10 दिन के अंदर ही भारत ने इसका बदला ले लिया. भारतीय सेना योजनाबद्ध तरीके से 28-29 सितंबर की आधी रात पाकिस्तान की सीमा में 3 किलोमीटर के अंदर घुसी और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला.

सीमा पार आतंकी कैंपों पर की गई भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को आज दो साल पूरे हो गये हैं. दो साल पहले 29 सितंबर, 2016 में उरी में आतंकी हमले के 10 दिन के अंदर ही भारत ने इसका बदला ले लिया. भारतीय सेना योजनाबद्ध तरीके से 28-29 सितंबर की आधी रात पाकिस्तान की सीमा में 3 किलोमीटर के अंदर घुसी और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला.

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सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल पूरा होने के उपलक्ष्य में ब्लैक कैट डिविजन के ब्रिगेडियर अजय मिश्रा ने गंगटोक वेस्ट प्वाइंट स्कूल में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. प्रदर्शनी में 105 एमएम फील्ड गन, छोटे हथियार, इंजीनियरिंग के सामान, माउंटेनियरिंग गैजेट, अभियान के दौरान घायल या बीमार सैनिकों के उपचार में काम आने वाले चिकित्सा उपकरण आदि प्रदर्शित किए गये. 

दो दिवसीय पराक्रम दिवस

भारतीय नौसेना ने वर्ष 2016 में रक्षा बलों द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पर मुंबई और गोवा में 29 सितंबर से दो दिवसीय कार्यक्रम की योजना बनायी है. नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम में 29 सितंबर, 2016 को की गई सर्जिकल स्ट्राइकल में सेना के साहसिक कृत्यों को प्रदर्शित किया जाएगा और उरी हमले के दौरान हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान को भी याद किया जाएगा.

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50 आतंकियों को बनाया गया था निशाना

भारतीय सेना के द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक में करीब 50 आतंकी मारे गए थे और कई आतंकी कैंप पूरी तरह से तबाह भी हुए थे. ये भी पहली बार हुआ था कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी कैंपों पर हमला किया और इसका ऐलान भी किया .

इन बैठकों के जरिए पूरी तरह प्लान हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक....

21 सितंबर, 2016

दिल्ली में पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त अब्दुल बासित को विदेश सचिव जयशंकर ने तलब किया. जयशंकर ने हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ होने के तमाम पुख्ता सबूत बासित को सौंपे.

22 सितंबर, 2016

न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में लश्कर के आतंकवादी बुरहान वानी को हीरो बताया. नवाज शरीफ यहीं नहीं रुके और उन्होंने उरी हमले पर कोई सफाई देने के बजाय उलटे भारत को ही कश्मीर मुद्दे पर घेरने की कोशिश की.

22 सितंबर, 2016

उधर नवाज शरीफ ने बेशर्म बयान दिया और इधर दिल्ली में तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डायरेक्टर जनरल मलिट्री ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल रनबीर सिंह ने पीएम मोदी के साथ NSA अजित डोभाल को पाकिस्तान के खिलाफ मिलिट्री और दूसरे ऑपरेशन की जानकारी दी.

23 सितंबर, 2016

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प्रधानमंत्री मोदी अजित डोभाल के साथ पहली बार साउथ ब्लॉक पर आर्मी के अंडरग्राउंड वॉर रूम में पहुंचे. वहां सेना के तीनों प्रमुख, खुफिया एजेंसी रॉ के सेक्रटरी राजेंद्र कुमार, इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा और एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी पहले से मौजूद थे.

यहां प्रधानमंत्री को बताया गया कि इसरो की कम ऊंचाई वाले सेटेलाइट के जरिए पाक अधिकृत कश्मीर पर पूरी नजर रखी जा रही है. मानव रहित विमान से पीओके के टेरर लॉन्चिंग पैड की भी निगरानी की जा रही है. इसके अलावा रॉ के लोग जमीन पर भी ऐसे आठ टेरर लॉन्च पैड की जानकारी जुटा रहे हैं. इसी के बाद मीटिंग में फैसला हुआ कि इन आठ टेरर कैंपों पर नजर रखी जाए और उसके बारे में तमाम अपडेट दिए जाएं.

24 सितंबर, 2016

वॉर रूम में जानकारी लेने के बाद अगले ही दिन प्रधानंमत्री मोदी केरल पहुंचे. यहां उन्होंने उरी हमले पर पहली बार पाकिस्तान को खुली चुनौती दी. मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान अपने जवानों की शहादत नहीं भूलेगा. इशारों ही इशारों में मोदी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए.

इसी बीच LoC पर पैनी नजर रखी जा रही थी. खुफिया एजेंसी रॉ के भरोसेमंद एजेंट रावलपिंडी और इस्लामाबाद की हर गतिविधि पर नजरें गड़ाए थे. वो पाकिस्तान आर्मी के हर मूवमेंट पर नजर रख रहे थे. रावलपिंडी और पाकिस्तान से रॉ ने गुप्त संदेश भेजे, जो मिशन को आगे बढ़ाने में अहम कड़ी साबित हुए.

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26 सितंबर, 2016

दिल्ली में तीनों सेना प्रमुख और खुफिया एजेंसियों के हेड अपना-अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर देते हैं. ताकि उनके फोन से पाकिस्तान उनके मूवमेंट का पता ना लगा सके. रायसीना हिल से कोसों दूर एक खुफिया जगह पर इनकी मीटिंग होती है. सभी बिना वर्दी और सरकारी गाड़ी के उस जगह पहुंचते हैं. इसी मीटिंग में ऑपरेशन को अमली जामा पहना दिया जाता है.

इसके बाद एनएसए चीफ अजित डोभाल ने मिशन से पहले आखिरी मीटिंग ली. इस मीटिंग में सेना के तीनों चीफ और खुफिया एजेंसियों के हेड शामिल थे. मीटिंग में तय हुआ कि मिशन के तहत एलओसी के उस पार आठ आतंकी कैंपों पर हमला किया जाएगा. मिशन की पूरी तैयार हो चुकी थी. इधर सेना प्रमुख, खफिया एजेंसी के साथ एनएसए तैयार थे, उधर कमांडोज अपने मिशन की तैयारी कर चुके थे.

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