अमरनाथ में टूटा 4 साल का रिकॉर्ड, 16 दिनों में 2 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है, जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है. इस गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. तीर्थयात्री या तो छोटे 14 किलोमीटर बालटाल मार्ग से जाते हैं या फिर 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से.

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पवित्र अमरनाथ शिवलिंग (Photo-ANI) पवित्र अमरनाथ शिवलिंग (Photo-ANI)

aajtak.in

  • श्रीनगर ,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

अमरनाथ दर्शन के मामले में पिछले 4 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. करीब 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पिछले 16 दिनों में बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. बुधवार को जम्मू से 4,584 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ. श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने बताया कि पिछले 16 दिनों में 2,05,083 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.

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अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई को शुरू हुई थी. अमरनाथ यात्रा से जुड़े एक अफसर ने बताया कि पिछले 4 साल के पहले हफ्ते में अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की यह सबसे ज्यादा संख्या है.वहीं एसएएसबी के मुताबिक, अब तक 16 तीर्थयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है. पुलिस ने बताया कि बुधवार को घाटी के लिए दो सुरक्षा काफिले में 3,967 यात्रियों का एक और जत्था रवाना हुआ. इनमें से 1,972 भगवती नगर यात्री निवास गए और 2612 पहलगाम बेस कैंप के लिए रवाना हुए.

45 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर श्रावण पूर्णिमा यानी 15 अगस्त को खत्म होगी. श्राइन बोर्ड के मुताबिक साल 2018 में 2,85,006 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे. 2017 में यह आंकड़ा 2,60,003 था. 2016 में 3,20,490 और 2015 में 3,52,771 तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे.  

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अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है, जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है. इस गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. तीर्थयात्री या तो छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या फिर 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से. बालटाल मार्ग से जाने वाले तीर्थयात्री दर्शन करने वाले दिन ही बेस कैंप लौट आते हैं. यहां श्रद्धालुओं के लिए हेलिकॉप्टर की सर्विस भी उपलब्ध है. स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू श्रद्धालुओं की सुविधा और बेहतर यात्रा के लिए बढ़-चढ़कर मदद की है.

अमरनाथ गुफा का इतिहास

  1. साल 1850 में इस गुफा की खोज एक मुस्लिम चरवाहा बूटा मलिक ने की थी.
  2. किंवदंतियों के मुताबिक एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा बैग दिया था. बाद में कोयला सोने में तब्दील हो गया.
  3. 150 वर्षों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चढ़ावे का एक हिस्सा दिया जाता है.
  4. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन होगा. 

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