असम के बाद अब त्रिपुरा में भी नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स (NRC) को अपडेट करने की मांग शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार, जनगणना आयुक्त, चुनाव आयोग और विदेश मंत्रालय से राय मांगी है.
असल में, त्रिपुरा पीपल्स फ्रंट ने राज्य से सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है. इन प्रवासियों में ज्यादार बांग्लादेशी हैं. याचिका में कहा गया है कि पिछले पांच दशकों में राज्य में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी प्रवासियों की अंधाधुंध तरीके से घुसपैठ हुई है. इससे राज्य के जनसंख्या ढांचे में काफी बदलाव आया है.
इसमें कहा गया है कि त्रिपुरा मूलत: एक आदिवासी राज्य था, लेकिन इस तरह के घुसपैठ की वजह से वह एक गैर आदिवासी राज्य बन गया है और वहां के मूल निवासी 'बोरोक' अल्पसंख्यक बन गए हैं.
गौरतलब है कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने हाल में कहा था कि अगर असम में एनआरसी सफल रहता है तो वह त्रिपुरा में भी इसे लागू करेंगे. असम में एनआरसी का अंतिम प्रारूप जारी हो गया है, जिसके बाद काफी हंगामा मचा हुआ है, क्योंकि इससे 40 लाख लोग बाहर हो गए हैं.
पीआईएल में कहा गया है, 'एनआरसी का गठन 1951 में ही हो गया था, जिसकी वजह से त्रिपुरा में इसको अपडेट करने की सख्त जरूरत है. त्रिपुरा में तो अवैध प्रवासियों की बाढ़ का मसला त्रिपुरा से भी ज्यादा गंभीर है.'
असम में भी पिछले तीन दशकों में होने वाले अवैध घुसपैठ की गंभीर समस्या को देखते हुए एनआरसी को अपडेट करने की जरूरत महसूस की गई थी.
दिनेश अग्रहरि / हरीश वी. नैयर