आज तक इम्पैक्ट: चाय बागान मजदूरों को मिलने लगा कैश, फूल-पत्तियां खाने को थे मजबूर

आज तक की स्पेशल रिपोर्ट का बंगाल के चाय बागानों पर हुआ असर. मजदूरों को मिलने लगा कैश. नोटबंदी के बाद फूल-पत्तियां खाने को हो गए थे मजबूर.

Advertisement
आज तक इम्पैक्ट - चाय बागान मजदूर आज तक इम्पैक्ट - चाय बागान मजदूर

मनोज्ञा लोइवाल

  • कोलकाता,
  • 22 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

नोटबंदी से बेहाल चाय बागान मजदूरों की व्यथा को आज तक ने जैसे ही उजागर किया वैसे ही उसका असर भी देखने को मिल गया. पश्चिम बंगाल के अलीद्वारपुर में चाय बागान मजदूरों को तीन हफ्ते से अटका उनका मेहनताना मिलना शुरू हो गया. इन मजदूरों की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें फूल और पत्तियां खाकर पेट की आग शांत करनी पड़ रही थी.

Advertisement

तीन दिन पहले आज तक ने विस्तार से बताया था कि किस तरह पश्चिम बंगाल में चाय बागानों के मजदूरों को दाने दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. दरअसल चाय बागान के मालिक इन मजदूरों को कैश में भुगतान करते थे. लेकिन नोटबंदी के बाद उन्होंने मजदूरों को भुगतान करना बंद कर दिया. हालत ये थी कि पूरे महीने में एक हफ्ते का ही इन्हें भुगतान मिला. पश्चिम बंगाल में करीब साढ़े तीन लाख चाय बागान मजदूर हैं. इनकी औसत दिहाड़ी 132.50 रुपए बैठती है.

हालांकि इन मजदूरों की परेशानी पूरी तरह दूर नहीं हुई है. अलीद्वारपुर में चाय बागान मजदूरों को उनका मेहनताना मिलना शुरू होने से हालात में बदलाव आया है. पैसे की किल्लत की वजह से जहां इन्हें परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया था वहीं कुछ लोग दूसरे रोजगार की तलाश में यहां से पलायन कर गए थे.

नोटबंदी से बेहाल चाय बागान के मजदूर पेट भरने को खा रहे हैं फूल-पत्तियां

Advertisement

अलीद्वारपुर के चाय बागान में काम करने वाली कल्याणी गोपे ने भुगतान दोबारा मिलना शुरू होने पर खुशी का इजहार किया. कल्याणी ने कहा- 'हमारी समस्या ये थी कि हम काम काम कर रहे थे लेकिन बदले में भुगतान नहीं मिल रहा था. न्यूज चैनल पर हमारी कहानी दिखाए जाने के बाद मैनेजर हमारे पास आए और हमारे खाते बनाना शुरू किया. अब मेरा भी खाता है. मैंने पैसा निकाल लिया है. अब मुझे और भी मिलेगा. मुझे उम्मीद है कि हमारा जो भी बकाया होगा वो हमें मिल जाएगा जिससे कि हम क्रिसमस का त्योहार मना सकेंगे. मैं नए कपड़े खरीदूंगी. अच्छा खाना बनाऊंगी और बच्चों को मेले पर लेकर जाऊंगी. हमारा पैसा हमें मिलने से हम बहुत खुश हैं. हम पिछले एक महीने में पैसा नहीं मिलने से बहुत ही हताश हो गए थे. हमें फूल-पत्ती खाने पर मजबूर होना पड़ रहा था लेकिन अब हालात सुधर गए हैं.'

आज तक की रिपोर्ट का हुआ असर
आज तक ने अपनी रिपोर्ट में कल्याणी गोपे की परेशानी को दिखाया था. बैंक अधिकारियों ने चाय बागान मजदूरों के खाते बनाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. वहीं मजदूरों को कैश भुगतान भी देना शुरू कर दिया गया है.

बैंक ऑफ इंडिया के जोनल मैनेजर सुशांत शेखर दास ने आज तक को बताया- चाय बागान के मजदूरों के सामने ये बंदिश थी कि वो हफ्ते में 24,000 रुपए से ज्यादा नहीं निकाल सकते थे. ऐसे में हम उत्तरी बंगाल में चाय बागानों में गए और व्यक्तिगत बचत खाते खोलना शुरू किया. अब तक हम 8,000 खाते खोल चुके हैं. हमने 11 चाय बागानों को कवर किया है. हम सभी मजदूरों के खाते खोल रहे हैं. अलीपुरद्वार में हमने 1500 खाते खोले और भुगतान करना शुरू किया. एक दिन में 11 लाख 55 हजार रुपए बांटे गए. हमारे बैंक का स्टाफ चाय बागानों के मजदूरों की परेशानी दूर करने के लिए जितना संभव हो सकता है, वो सभी कर रहा है.

Advertisement

आधार कार्ड न होने की वजह से मजदूरों को हो रही दिक्कत
हालांकि कुछ मजदूरों ने आधार कार्ड नहीं होने की वजह से खाते नहीं खुल पाने की बात भी कही. रणजीत नाम के मजदूर ने कहा, 'मैं आधार कार्ड बनवा रहा हूं क्योंकि ये बैंक खाता खुलवाने के लिए जरूरी है. अभी बकाया पूरा नहीं मिला है. बैंक खाता खुलने पर ही मेरा सारा पैसा खाते में आ पाएगा. हमारे बागान के मालिक ही सब इंतजाम कर रहे हैं. हमें शहर नहीं जाना पड़ रहा. हमारे बागान में ही खाते खुल रहे हैं.'

नए घटनाक्रम से जहां अधिकतर मजदूर खुश हैं वहीं कुछ ने 15 दिन में भुगतान मिलने को दिक्कत वाला बताया. इनका कहना है कि हफ्ते में भुगतान मिलने पर हर दिन का जरूरी सामान खरीदना आसान होता है.

चाय बागान मजदूर लक्ष्मी महाली ने कहा, 'नोटबंदी लागू होने से पहले हमें हर हफ्ते भुगतान मिलता था. हमारे परिवार में सभी चाय बागान में काम करते हैं. इसलिए आय का ये एकमात्र जरिया है. 15 दिन की जगह 7 दिन में भुगतान मिलना हमारे लिए ज्यादा सुविधाजनक था.'

मैनेजर को चीजें पटरी पर लौटने से संतोष
माझेरदाबरी चाय बागान के मैनेजर चिन्मय धर ने चीजें पटरी पर दोबारा लौटने पर संतोष जताया. धर ने कहा, 'शुरू में दिक्कत होने की वजह से मजदूरों को उनका भुगतान ना कर पाने से हम भी बहुत चिंतित थे. चाय बागान में काम करने वालों का अच्छी तरह ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है. फिर हमने बैंक खाते खुलवाना शुरू किया और परेशानी कम होने लगी. अब तक हम 1500 मजदूरों के खाते खुलवा चुके हैं. आधार कार्ड बनवाने के लिए भी शिविर लगाए गए. बैंक ऑफ इंडिया के स्टाफ ने बड़ा सहयोग किया. अब किसी मजदूर का बकाया नहीं है.लोकल ट्रेड यूनियन ने भी संकट के वक्त बहुत साथ दिया,' धीरे धीरे ही सही चाय बागानों में काम करते मजदूरों के चेहरों पर मुस्कान ने लौटना शुरू कर दिया है.



Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement