राहुल गांधी को जानकारी नहीं, मोदी सरकार ने जवानों के लिया क्या फैसले किए: अरुण जेटली

Aajtak Suraksha Sabha आजतक द्वारा आयोजित 'सुरक्षा सभा' को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी एक नादान और कम जानकार नेता हैं और उन्हें यह नहीं पता है कि मोदी सरकार ने वास्तव में हमारे देश के जवानों के लिए क्या काम किया है.

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आजतक की सुरक्षा सभा में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आजतक की सुरक्षा सभा में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली

राहुल कंवल

  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी को एक नादान और कम जानकार नेता बताते हुए कहा कि उन्हें पता ही नहीं कि मोदी सरकार ने सेना के लिए क्या किया है. देश की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए आजतक द्वारा आयोजित विशेष 'सुरक्षा सभा' को संबोधित करते हुए जेटली ने यह बात कही.

जेटली ने कहा, 'राहुल ने बार-बार कहा जो पैरा मिलिट्री के लोग हैं उन्हें शहीद का दर्जा दे दो, लेकिन सच यह है कि न तो सेना और नही केंद्रीय सुरक्षा बलों को इस तरह का कोई दर्जा दिया जाता है. यूपीए सरकार ने सेना और केंद्रीय बलों को इस मामले में समानता देने का विरोध किया. सेना की भाषा में इसको बैटल कैजुअल्टी स्टेटस और पैरा मिलिट्री में उसको ऑपरेशनल कैजुअल्टी स्टेटस कहते हैं, उनको इसका बेसिक नॉलेज नहीं है. 2011 में मनमोहन सरकार ने दोनों को बराबरी का दर्जा देने के लिए एक कमिटी बनाई थी, लेकिन कोई निर्णय नहीं कर पाए, बराबरी का दर्जा देने से इंकार किया. 2017 में हमारी सरकार ने दोनों को ऐट पार कर दिया. राहुल गांधी पहले बेसिक चीज समझ लें कि उनकी पार्टी ने इससे इंकार कर दिया था, लेकिन 2017 में मोदी जी इसे दे चुके हैं.'

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उन्होंने कहा, 'हमने एक और सुविधा दी कि कश्मीर में सीआरपीएफ के अधिकारी को 40 फीसदी एक्स्ट्रा और जवान को 75 फीसदी एक्स्ट्रा दिया जाएगा. इस साल हमने तय किया पुलवामा के बाद सीआरपीएफ के लोगों को जम्मू या दिल्ली से विमान से ही कश्मीर भेजा जाएगा.'  

मिग 21 विमानों के क्रैश को लेकर देश में चर्चा है जो 71 का मुख्य फाइटर था तो आज भी यह फ्रंट पर क्यों है, क्या हथि‍यारों के आधुनिकीकरण को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है? इस सवाल पर जेटली ने कहा, 'जी हां, लेकिन पुराने एयरक्राफ्ट का भी अपग्रेडेशन अच्छे तरीके से हो रहा है.'

राफेल के मसले पर अरुण जेटली ने कहा, 'राफेल पर फेक डिबेट चलाने का देश को नुकसान हुआ. राफेल लाने का विचार कहां से आया, इस पर विचार करिए. करिगल में पाकिस्तान से घुसपैठिए ऊपर पहाड़ से अए थे, उन्हें हटाने और मारने में हमें कई हफ्ते लग गए. अगर उस समय कॉम्बैक्ट एयरक्राफ्ट होता तो नतीजा और बेहतर होता. आप 100-150 किमी की दूरी से टारगेट पर हमला कर सकते थे.

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राफेल लाने की बात 2000 से चल रही थी और सभी टीमों ने इसे बेहतर बताया. 2007 में टेंडर भी आए, 2012 में आपने कहा कि राफेल बेस्ट है. कई साल तक निगोशिएशन के बाद आखिर उन्होंने सौदे को रोक दिया. आपने कहा कि राफेल ठीक है, लेकिन जिस प्रोसेस से खरीदा जाना है वह सही नहीं है इस तरह कांग्रेस ने पहले ही  खरीद को 3 से 4 साल लेट किया.

2007 से जब 2016 में हम डील करेंगे तो कीमत बढ़ेगी ही, सीएजी और सुप्रीम कोर्ट ने आपके सवाल को गलत बताया, फिर भी आप सवाल उठा रहे हो. क्योंकि आपके पास कोई विषय ही नहीं है.

देश को इस प्रकार की मिसगाइडेड बहस से बचाएं और देरी पर बात करें. डिफेंस बजट बढ़ाने की जरूरत है, यह कहना बहुत सरल है. लेकिन टैक्स बढ़ेगा तब ही हो यह हो सकता है, तब ही हो सकता है, जब हर हिंदुस्तानी ईमानदारी से अपना टैक्स चुकाए. पिछले पांच साल में हमने टैक्स दरें नहीं बढ़ाईं, लेकिन कलेक्शन 90 फीसदी तक कर दिया. हमारे पास 7-8 लाख करोड़ रुपये के फौज के जरूरी खरीद लंबित हैं. यानी हर साल डिफेंस पर करीब एक लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त की जरूरत है.

राजीव गांधी जब पीएम थे तो हमारा बजट 4 फीसदी से ऊपर था, अब तीन फीसदी के आसपास है, इस सवाल पर जेटली ने कहा, 'उस वक्त 4 फीसदी का खर्च करीब 40 हजार करोड़ रुपये ही था और उसमें पेंशन, वेतन भी था. आज हम सिर्फ ओआरओपी के लिए 38 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त सैलरी और पेंशन पर दे रहे हैं.'

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एयरस्ट्राइक के बाद भारत का रुख पाकिस्तान के खिलाफ कैसा होना चाहिए, इसका लोकसभा चुनावों में क्या असर पड़ेगा इन सभी बातों पर चर्चा करने के लिए आजतक ने आज विशेष ‘सुरक्षा सभा’का आयोजन किया है.

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