NRC को-ऑर्डिनेटर को SC की फटकार, कहा- क्यों ना आपको जेल भेज दें?

बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा जारी कर दिया गया है. असम देश में एक मात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं. 

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एनआरसी को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला (File) एनआरसी को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला (File)

अनुषा सोनी / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के आंकड़े सामने आने के बाद देश में राजनीति गर्म है. इस मामले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कुछ दिन पहले इस मामले में एनआरसी को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने मीडिया से बात की थी जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्ख लहजे में फटकार लगाई और आगे ऐसा नहीं करने की हिदायत भी दे डाली.

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जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंगटन नरीमन जैसे ही कोर्ट में आए और अपनी-अपनी जगहों पर बैठे जस्टिस गोगोई ने अखबार की प्रतियां दिखाते हुए कहा कि ये मामला हमारे और आपके (स्टेट कोआर्डिनेटर और एनआरसी) बीच है, लेकिन इसमें मीडिया कहां से आया.

अखबारों की प्रतियां सामने वादी प्रतिवादियों की डेस्क की ओर लगभग उछालते हुए भेजीं और बेहद कड़क आवाज में पूछा-  ये क्या कर रहे हैं आप? ये क्या तरीका है. ये सब मीडिया को किसने बताया कि कौन-कौन से डॉक्यूमेंट अलाऊ होने जा रहे हैं या फ्रेश डाक्यूमेंट जमा करने होंगे. जब हम मामले की सुनवाई कर ही रहे हैं तो आपने मीडिया में ये सब कैसे कहा कि हम नागरिकता की पुष्टि के लिए तमाम दस्तावेज मानेंगे और कई मौके दिए जाएंगे. हमने आपसे जानकारी मांगी और आपने हमें ये जानकारी देने के बजाए मीडिया को देनी शुरू कर दी.

दरअसल, कुछ अखबारों को एनआरसी के असम स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने इंटरव्यू दिया था. हजेला के छपे इंटरव्यू में कई ऐसे मुद्दे पर घोषणाएं की गई थीं जिन पर कोर्ट अभी विचार कर रहा था. इससे नाराज कोर्ट ने एनआरसी के कोऑर्डिनेटर हजेला को जम कर फटकार लगाई.

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कोर्ट ने कहा कि आपको पता है कि यह कोर्ट की अवमानना है. आपको जेल तक भेजा जा सकता है. इस अचानक पड़ी डांट से सकपकाए हजेला ने फौरन माफी मांग ली, लेकिन कोर्ट का गुस्सा शांत नहीं हुआ. जस्टिस गोगोई ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब माफी का क्या मतलब है. आप कौन होते हैं ये तय करने वाले कि कौन से दस्तावेज मान्य होंगे और कौन से नहीं. लोगों को अपने दावों और शिकायतों की पुष्टि के लिए कितने मौके दिए जाएंगे. जब हम सुन रहे हैं तो जाहिर है कि हम ही तय करेंगे.

जस्टिस गोगोई ने आदेश देते हुए यह भी कहा कि हमने आपको जेल भेजने का आदेश देने से अपने आपको बहुत रोका है. आपका काम रजिस्टर का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करना है. वो योजनाएं कोर्ट को बताना है जिस पर आप आगे चलना चाहते हैं. जिसके जरिये व्यावहारिक और कानूनी तौर पर सही रजिस्टर तैयार होगा. इसे करने के बजाए आप मीडिया में ब्रीफिंग देते फिर रहे हैं. आपका काम मीडिया को ब्रीफ करना नहीं है.

आखिर में कोर्ट ने यह भी कह दिया कि ये आखिरी चेतावनी है. आइंदा ऐसा नहीं होना चाहिए. अब कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगा. तब राष्ट्रीय जनगणना विभाग के सेक्रेटरी जनरल सारी डिटेल बताएंगे कि किस तरह से एनआरसी का काम आगे बढ़ेगा.

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आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही हजेला का इंटरव्यू सामने आया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन लोगों का नाम NRC की लिस्ट में छूट गया है, इसलिए उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. अगर वो फ्रेश डॉक्यूमेंट देते हैं, तो उनका नाम लिस्ट में आ जाएगा. अभी भविष्य में और भी मौके मिलने हैं.

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