दक्षिण के कई राज्यों में बीते दिनों सामने आए धर्मांतरण के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस याचिका में अपील की गई कि अदालत केंद्र सरकार को इसे रोकने के लिए कानून बनाने के लिए कहे. हालांकि, अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है. सर्वोच्च अदालत का कहना है कि कानून बनाना संसद का काम है, कोर्ट का नहीं.
बता दें कि याचिकाकर्ता ने जल्द से जल्द धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की अपील की थी. इसमें तमिलनाडु से जुड़े कुछ केस का उदाहरण दिया गया था. जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया और केंद्र को कोई सीधे निर्देश जारी नहीं किया.
धर्मांतरण को लेकर होता रहा है विवाद
देश में धर्मांतरण का मसला पिछले लंबे समय से चर्चा में रहा है. भारतीय जनता पार्टी और उससे जुड़े संगठनों ने दक्षिण की राजनीति में इस मसले को बड़े स्तर पर उठाया है. जहां आरोप लगाया गया था कि पैसा देकर हिंदुओं को ईसाई बनाया जा रहा है.
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पिछले लोकसभा सत्र में भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने भी इससे जुड़े एक मसले को उठाया था और अपील की थी कि अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जनजाति को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. हालांकि, इसपर काफी विवाद हुआ था जिसके बाद विषय आगे नहीं बढ़ा.
बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद की ओर से मांग की गई थी कि देश में धर्मांतरण को लेकर कानून बनना चाहिए, जिससे पैसा देकर किसी को धर्म बदलने का लालच ना दिया जाए.
संजय शर्मा